पुलिस ने भांजी लाठियां, 3 चक्र दागी गई आंसु गैस, जवाब में ग्रामीणों ने चलाये तीर।
गोड्डा : राजमहल परियोजना के विस्तारीकरण में सबसे बड़े अवरोधक बनी तालझारी की जमीन पर आखिरकार ईसीएल का कब्जा होता दिख रहा है। बुधवार से चल रहे ऑपरेशन में गुरुवार को पूरे दिन ग्रामीण और प्रशासन के बीच झड़प देखने को मिली। इस दौरान ईसीएल की मशीन जमीन पर काबिज हो गया। विरोध कर रहे ग्रामीणों पर पुलिस ने जमकर डंडा चटकाया। ग्रामीणों के जबरदस विरोध को देखते हुए पुलिस ने तीन चक्र आंसू गैस के गोले भी दागे। वही जवाब में आदीवासीयों ने तीर चलाकर विरोध दर्ज किया। हालांकि इस दौरान किसी भी प्रकार की कोई इंजरी होने की बात सामने नहीं आई। कंपनी तीन बड़ी मसीने उत्खनन के लिए तालझारी लेकर गई थी। पुलिस ने पूरी तैयारी और सुरक्षा कवर के साथ ग्रामीणों को खदेड़ने में कामयाब रही। अंततः ग्रामीणों को पीछे हटना पड़ा। प्रशासन ने उस जमीन पर ईसीएल को कब्जा दिलाया जिसे रैयतों ने ईसीएल को पहले ही दे दी थी। इधर दिन भर चली पुलिस की कार्यवाही के बाद तकरीबन शाम 5 बजे पुलिस वापस लौट गई। अब देखना दिलचस्प होगा कि उनकी ये कार्यवाही कबतक जारी रहेगी और आर पार की इस लड़ाई में पुलिस में जिस तरह की तैयारी दिख रही हैं। उससे ग्रामीण हतप्रभ है। ग्रामीणों की माने तो जिस तरह से पुलिस ने बर्बर तरीका अख्तियार कर रही ह उससे इसीएल को आगे जमीन लेने मे बहुत दिक्कत होगी। इधर ग्रामीणों ने बताया कि जिस जमीन को हमने दिया नही उस पर भी मशीन लगाई गई है। खड़ी फसल को भी रौंद दिया गया। रोकने जाने पर डंडा से पीटा जा रहा है। राज्य के मुख्यमंत्री क्षेत्र के सांसद और विधायक सब के सब आदिवासी है लेकिन हमारी रक्षा करने के लिए कोई आगे नही आया।
क्या कहते हैं महाप्रबंधक
ईसीएल के महाप्रबंधक प्रभारी रमेश चंद्र महापात्रा ने कहा कि 22 रैयतों के 125 एकड़ भूमि अबतक अधिगृहित किया गया है। जिसका मुआवजा और नौकरी दे दी गई है। आगे आर एन्ड आर पॉलिसी के तहत उनका जो भी कंपनसेशन होगा वह दिया जायेगा। फिलवक्त ईसीएल अपनी अधिकृत की गई जमीन पर ही कब्जा कर रही है। किसी तरह जबरदस्ती किसी ग्रामीणों की जमीन नहीं ली जा रही।

