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June 27, 2025 1:28 am

कोल माइंस के कोयला का परिवहन करने वाले हाइवा से उड़ती कोयले की धूल से परेशान है ग्रामीण।

कोयला का परिवहन करने वाले हाइवा बिना त्रिपाल लगाए कर रहे हैं कोयला का खुले में परिवहन।

रिपोर्ट– धीरेन साहा

अमड़ापड़ा – पाकुड़ मुख्य मार्ग में कोल माइंस कंपनी के कोयला ढुलाई करने वाले ट्रांसपोर्टर चाहे वो बीजीआर के हो या फिर डीबीएल के कर रहे है,कर रहे झारखंड पॉल्यूशन विभाग के नियम की अनदेखी,कोयला का बिना त्रिपाल लगाए खुले में कर रहे है परिवहन, कभी कदार जिला परिवहन पदाधिकारी डीटीओ साहब एक आद गाड़ी पकड़ खाना पूर्ति कर देते है,जिला खनन विभाग तो नतमस्तक है कोयला ब्लॉक कंपनी सामने,बस इसी कारण कोल कंपनी के पदाधिकारियों पर नही रहा पाकुड़ जिला प्रशासन का डर, जिला प्रशासन के लापरवाही के कारण कोयला परिवहन करने वाले डंपर कोयला, डंपरो की क्षमता से अधिक लोड कर, बिना त्रिपाल ढके सड़कों पर नियम कानून को अनदेखा कर परिवहन कर रहे है, जिससे सड़कों पर कोयला का चूरा गिरकर छोटे छोटे कन में विभाजित होकर धूल बनकर लोगों के आंख और घरों में घुस रहा है जिसके कारण लोगो के भोजन और खान पान पर असर पड़ रहा है,आंख में कोयला का धूल कण आने से एक्सीडेंट का भए भी हर समय बना रहता है, धूल कण उड़ने से सड़क किनारे लगे घने पैड झाड़ियों की खूबसूरती को बर्बाद कर रहा है। पैदल राहगीर भी काफी परेशान है इस कोयले की उड़ती धूल कण से कोयला खनन करने वाली कोल कंपनी खुल्लम खुल्ला इंसानों की जिंदगी और घने पेड़ पौधे जंगल को बर्बाद कर रही है। काफी गहरा रिश्ता है कोल कंपनी और जिला प्रशासन का इस कारण खुली आंखों से सब देखने के बाद भी आंखे आंखें बंद किए हुए है, तभी तो नियम कानून को ताक मे रख कर कोल कंपनी कोयला का परिवहन बिना रोके टोके खूब कर रही है। सायद सबका साथ सबका विकास वाली कहानी तो नही, अमरापाडा से पाकुड़ तक के रास्ते पर पड़ने वाले ग्रामीण क्षेत्रों के लोग काफी परेशान है इस कोयले के मनमाने तरीके से परिवहन करने को लेकर, कॉल कंपनी के डंपर वाहनों को परिवहन विभाग की खुली छूट का खामियाजा अमड़ापड़ा – पाकुड़ मुख्य सड़क में बसे ग्राम पुचाईबेड़ा, बरमसिया ,पोखरिया शहरग्राम, सिमलधाप, सिलकुट्ठी इत्यादि गांव छेत्र के लोगों को भुगतना पड़ रहा है। जिस पर जिला प्रशासन द्वारा कोई जांच नहीं किया जा रहा है, वहीं सड़क किनारे कोयला का चूरा अधिक मात्रा में गिर कर रह जाता है जिस की साफ सफाई नहीं की जाती है जिससे बाइक सवार,पैदल राहगीर,टेंपू वाले को यातायात में काफी परेशानी उठानी पड़ती है,कोयला का धूल कण से सड़क किनारे खेत सभी धीरे धीरे बंजर होते जा रहे है, मिट्टी की उर्वरता क्षमता भी कम हो रही है। फिर भी जिम्मेदार मौन है, ऐसा लग रहा है कि वह दिन अब दूर नहीं की पाकुड़ जिले की खूबसूरती कागजों में सिमट कर रह जाएगी।

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