राजकुमार भगत
पाकुड़। अनंत चतुर्दशी का पर्व भाद्र मास शुक्ल पक्ष चतुर्दशी को मनाया जाता है। हिंदू धर्म मानने वाले लोग सुख समृद्धि एवं उन्नत जीवन जीने के लिए भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा करते हैं,एवं व्रत का संकल्प लेकर कच्चे धागों से बने 14 गांठ वाली अनंत सूत्र बांधा जाता है। क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु ने 14 लोकों यानी तल, अतल, बीतल, सूतल, तलाताल, रसातल, पताल, भू ,भुवः , स्वः ,जन, तप, सत्य, मह की रचना की थी। उदीया तिथि के अनुसार अनंत चतुर्दशी 28 सितंबर गुरुवार को मनाई जाएगी । चतुर्दशी तिथि का आरंभ 27 सितंबर को रात 10:18 पर शुरू होगी एवं समापन 28 सितंबर को संध्या 6:49 पर होगी।
अनंत चतुर्दशी भगवान नारायण की पूजन का पर्व है । इसके साथ लक्ष्मी जी की भी पूजा होती है। महाभारत के कथा के अनुसार कौरवों ने छल से पांडवों को हरा दिया था । इसके बाद पांडवों को अपना राज पाट त्याग कर वनवास जाना पड़ा था। इस दौरान पांडवों ने बहुत सारी तकलीफें उठाई। राजपाट त्याग कर बनवास जाना पड़ा था । एक बार भगवान श्री कृष्णा पांडवों से मिलने वन पधारे। भगवान श्री कृष्ण को देखकर युधिष्ठिर ने कहा कि हे मधुसूदन आपको मेरा चरण वंदन है।कृपया मुझे राजपाट प्राप्त करने का उपाय बताएं । युधिष्ठिर की बात सुनकर भगवान श्री कृष्ण ने कहा आप सभी भाई पत्नी समेत भाद्र शुक्ल चतुर्दशी का व्रत रखें ।अनंत भगवान की पूजा करें। युधिष्ठिर ने पूछा की अनंत भगवान कौन है । इसके बारे में हमें बताएं हमें ज्ञान दें ।इसके बारे में बताते हुए श्री कृष्ण ने कहा भगवान विष्णु के ही रूप हैं । चातुर्मास में भगवान विष्णु शेषनाग की सैया पर अनंत शयन में रहते हैं। अनंत भगवान ने ही वामन अवतार में दो पग में ही तीनों लोकों को नाप लिया था। इनके ना तो आदि का पता है और ना ही अंत का ! इसलिए इन्हें अनंत कहते हैं ?अतः इनके पूजन से आपके कष्ट समाप्त हो जाएंगे । उनके बाद युधिष्ठिर ने परिवार सहित यह व्रत का पालन किया। पुनः उन्हें हस्तिनापुर प्राप्त हुई। अन्य कथा भी प्रचलित है।
इस दिन प्रातः काल उठकर स्नान ध्यान करके साफ सुथरे पवित्र वस्त्र पहनकर पूजा स्थल पर गंगाजल शुद्ध कर भगवान विष्णु की प्रतिमा पर अक्षत फूल धूप दीप नैवेद्य इत्र चंदन खीरा आदि से पूजन की जाती है।