डीबीएल कंपनी के पदाधिकारी कर रहे है पाकुड़ प्रशासन को गुमराह,जिन्होंने ढोया 8 साल का बोझा उनके साथ डीबीएल कर रही है धोखा।
सतनाम सिंह
पाकुड़ डीबीएल और पाकुड़ जिले के ट्रांसपोर्टर की आज चौथी दौर की वार्ता भी विफल साबित हुई,आज बीते 17 दिनों से पाकुड़ के पचुवाड़ा सेंट्रल कोल ब्लॉक के माइंस डेवलपर एंड ऑपरेटर (एमडीओ) दिलीप बिल्डकॉन लिमिटेड (डीबीएल) और स्थानीय वेंडरों का विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। मानले के निपटारे के लिए एसडीओ हरिवंश पंडित ने गुरुवार को चौथी बार कंपनी के अधिकारी व जिले के बकायेदार व वेंडरों की बैठक बुलाई लेकिन, मामला बेनतीजा रहा। डीसी वरुण रंजन के निर्देश पर एसडीओ हरिवंश पंडित के नेतृत्व में आयोजित बैठक में पाकुड़ के एसडीपीओ अजीत कुमार विमल, खनन पदाधिकारी प्रदीप साह, नगर थाना प्रभारी मनोज कुमार के अलावे डीबीएल के प्रोजेक्ट मैनेजर सब्यसाची मिश्रा व सैकड़ों की संख्या में वेंडर शामिल थे। कंपनी तत्काल बकाया भुगतान नहीं करने तथा सिंगल वेंडर सिस्टम की नीति के अपनी ज़िद पर अड़ी हुई है वहीं, वेंडर्स पहले बकाया भुगतान करने एवं सिंगल वेंडर सिस्टम के विरोध पर अड़े हुए हैं। इस बीच मामले का निपटारा नहीं होने से वेंडरों ने जिले के आला प्रशासनिक अधिकारियों के रवैये पर भी सवाल उठाया है और उनकी भूमिका को भी कटघरे में खड़ा किया जा रहा है। वेंडरों द्वारा सवाल उठाया गया कि कंपनी प्रत्येक बैठक में अलग-अलग अधिकारी को भेजकर प्रशासन और वेंडरों को गुमराह कर उनका समय बर्बाद कर रही है। इससे पूर्व 27 दिसंबर को एसडीओ द्वारा आयोजित बैठक में कंपनी के जीएम राधारमण रॉय मौजूद थे जबकि, गुरुवार को आयोजित बैठक में उनके जूनियर पीएम सब्यसाची मिश्रा मौजूद थे। इसपर एसडीओ ने कहा कि बैठक में जीएम के अनुपस्थित रहने पर उनसे स्पष्टीकरण पूछा जाएगा।
क्या है मामला
ट्रांसपोर्टरों का 8 साल पूर्व का बकाया भुगतान तथा कोल ट्रांसपोर्टेशन हेतू स्थानीय लोगों को सीधे कंपनी का कार्यादेश देने के लिखित वादे के बाद बीते 2 दिसंबर को कोयला परिवहन का कार्य सुचारू ढंग से शुरू हो गया था। स्थानीय वेंडरों द्वारा 18 दिनों तक लगभग 40 हजार टन कोयले की ढुलाई भी कर दी गई और 9 रैक कोयला पंजाब भेज दिया गया। 18 दिनों के बाद वैंडर्स जब डीबीएल कंपनी से कार्यादेश मांगने लगे तब कंपनी ने वादा खिलाफी करते हुए कहा कि सभी स्थानीय लोगों को धनबाद के जय मां तारा इंटरप्राइजेज नामक आउटसोर्सिंग कंपनी का कार्यादेश दिया जाएगा। इस पर विस्थापित ग्रामीण समेत स्थानीय वेंडर भड़क गए और बीते 19 दिसंबर से कोयले का उत्खनन व परिवहन को ठप करा कर कंपनी के वादा खिलाफी के विरोध में आंदोलन करने लगे। वेंडरों ने न्याय की मांग के लिए न सिर्फ डीसी, एसपी, क्षेत्रीय विधायक दिनेश मरांडी, सांसद विजय हांसदा के अलावे सूबे के ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम व सीएम हेमंत सोरेन के समक्ष भी गुहार लगाई बल्कि, विरोध स्वरूप मशाल जुलूस, रैली व धरना-प्रदर्शन भी किया। बावजूद इसके मामले का कोई हल नहीं निकला है और बीते 17 दिनों से स्थिति यथावत बनी हुई है।
17 दिनों से बंद है पचुवाड़ा सेंट्रल कोल ब्लॉक, करोड़ों का ही रहा है नुकसान
डीबीएल कंपनी व स्थानीय लोगों के ज़िद के कारण बीते 17 दिनों से पचुवाड़ा सेंट्रल कोल ब्लॉक पूरी तरह से ठप है। यहां से न कोयले का उत्खनन हो रहा है और न परिवहन। गुरुवार को भी कंपनी के अधिकारी विस्थापित होने वाले ग्रामीणों के बीच माइंस चालू करने की लगातार गुहार लगाते रहे लेकिन, ग्रामीणों ने उनकी एक न सुनी और अपनी मांगों को पूरा करने के लिए दो टूक शब्दों में प्रस्ताव रखा। कंपनी के अड़ियल रवैये के कारण सरकार को प्रति दिन लगभग 50 लाख रुपये के राजस्व का नुकसान हो रहा है। इसके अलावे रेल माल भाड़ा, डीजल से प्राप्त होने वाला टैक्स, जीएसटी, वनोपज आदि से प्राप्त होने वाला राजस्व का भी नुकसान सरकार को उठाना पड़ रहा है। साथ ही स्थानीय लोगों को मिलने वाला प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार भी बंद हैं। इस भारी नुकसान के बीच प्रशासनिक अधिकारियों द्वारा मामले के निपटारे को लेकर केवल बैठक कर खानापूर्ति करना कई सवाल खड़े करता है। वैंडर्स प्रशासन के इस रवैये के पीछे एक सफेदपोश का हाथ होने का आरोप लगा रहे हैं।
क्या कहते हैं एसडीओ
कंपनी के जीएम को बैठक में बुलाया गया था लेकिन, पाकुड़ में मौजूद रहने के बावजूद बैठक में उपस्थित नहीं होने पर उनसे कारण पृच्छा की जाएगी। कंपनी को तीन दिनों के भीतर भुगतान प्रक्रिया शुरू करने का निर्देश दिया गया है। वेंडरों से उनके पास मौजूद डंपरों के कागजात की मांग की गई है।
हरिवंश पंडित, एसडीओ, पाकुड़।