सतनाम सिंह
साथ में और दो बच्चों को लेकर खुद भी दे रही थी जान, किसानों ने बचाया
पत्नी ने अपने पति के ऊपर बच्चों का इलाज नहीं करने का लगाया आरोप
कानून के नजरिया में पत्नी है असली दोषी।
पाकुड़: पाकुड़ जिले के मुफस्सिल थान के नरोत्तमपुर गांव में एक महिला ने अपने तीन बच्चों संग कुएं में कूदकर खुदकुशी का प्रयास किया। हालांकि स्थानीय किसान ग्रामीणों के प्रयास से महिला और उनके दो बच्चों को तो बचा लिया गया, लेकिन एक साल का बीमार बच्चा काल के गाल में समा गया।यह घटना देर शाम की है। जब खेत में काम कर रहे किसानों की नजर उस महिला की हरकत पर पड़ी तो किसान खेत से काम छोड़ कुएं के पास पहुंचे और अपनी सूझबूझ से महिला और उनके दो बच्चों को खुदकुशी करने से बचा लिया।खुदकुशी का प्रयास कर रहे महिला और उनकी एक बेटी और बेटे को तो किसानों ने बचा लिया लेकिन एक 1 साल का बीमार बच्चा मौत के मुंह में समा गया।महिला साहिबगंज जिले के बरहरवा के ईटवाडांगा के रहने वाले तरुण रजवार की पत्नी 26 वर्षीय ज्योत्सना देवी अपने मायके सदर प्रखंड के दादपुर पंचायत अंतर्गत सरायढेला गांव आई थी। मिली जानकारी के मुताबिक साल 2016 में ज्योत्सना देवी का विवाह तरुण रजवार से हुई थी। दंपत्ति से तीन बच्चें है, जिनमें एक बेटी और दो बेटा शामिल हैं। तीनों बच्चों में से एक साल का सबसे छोटा बेटा जन्म से ही मानसिक और शारीरिक रूप से कमजोर था। महिला का आरोप है कि बेटे के बीमारी का इलाज में खर्च को लेकर पति अरुण रजवार हमेशा मारपीट करते रहता था।घटना के दिन शनिवार को भी पति ने उसके साथ मारपीट की। महिला ने रोज-रोज की मारपीट से तंग आकर तीनों बच्चों के साथ मौत को गले लगाना ही बेहतर समझा। बिना किसी को कुछ बताएं वह तीन बच्चों को साथ लेकर घर से निकल गई और नरोत्तमपुर गांव के पास खेत में स्थित मनरेगा से निर्मित कुएं के पास पहुंची। इस दौरान कुएं के आसपास खेत में कुछ किसान काम कर रहे थे।किसानों से जानकारी मिली कि महिला ने कुएं के पास आते ही सबसे छोटे बीमार बच्चे को कुएं में फेंक दिया और फिर दो अन्य बच्चों के साथ खुद कुएं में छलांग लगाने की कोशिश करने लगी। किसानों को महिला की हरकत समझ में आते ही दौड़ पड़े और उसे पकड़ लिया। महिला को दोनों बच्चों के साथ कुएं में छलांग लगाने से बचा लिया। महिला और दो बच्चों की जान तो बच गई। लेकिन कुएं में फेंके गए बच्चे को बचाया नहीं जा सका।कुएं में पानी लबालब भरे होने की वजह से बच्चा कुए के गहराई में खो गया। घटना की जानकारी पूरे गांव में आग की तरह फैल गई। लोगों की भीड़ घटनास्थल पर उमड़ने लगी। इधर सूचना मिलने पर मुफस्सिल थाना की पुलिस मौके पर पहुंची। पुलिस महिला और दोनों बच्चों को थाना लेकर आई। पुलिस महिला से घटना को लेकर जानकारी ले रही थी। वहीं खबर भेजे जाने तक थाना में किसी तरह की लिखित कार्रवाई नहीं हो पाई थी। थाना प्रभारी सतीश कुमार ने कहा कि पति-पत्नी के विवाद में महिला ने यह कदम उठाया। पुलिस मामले की जांच कर रही है।
लेकिन माने या ना माने अगर इस घटना को कानून की नजर से देखा जाए तो बच्चा को गंवाने में जो पत्नी अपनी पति को दोषी ठहरा रही है इसमें पत्नी ही असली कसूरदार साबित हो रही है। यह कैसी निर्मम मां है जो अपने ही कोख से जन्मा कर कुएं में डाल कर उसकी हत्या कर दी। पुलिस के नजरिए से महिला ने खुद स्वीकारी है कि बच्चे को उसी ने फेंकी है। महिला का आरोप है कि पति उसे मारता था तो क्या इसका खामियाजा इस नन्हे से दूध मोही बच्चों को भुगतना पड़ा। बच्चा फेंकने को लेकर भी एक लॉजिक है। यह लॉजिक क्या है यह भी समझा जा सकता है कि तीन बच्चों में से जो बीमार बच्चा था उसको सबसे पहले कुएं में फेंकी फिर बाद में बाकी के 2 बच्चे समेत खुद छलांग लगाने वाली थी। सवाल यह भी उठता है कि पहले बीमार बच्चे को ही क्यों फेंकी। हालांकि जगह-जगह में जैसी मुंह तैसी बात हो रही है लेकिन कानून की चश्मे से अगर देखा जाए तो बच्चे का बाप बाद में पहले उसकी मां को दोषी ठहरा जा सकता है। इस पर मुफस्सिल थाना प्रभारी सतीश कुमार ने बताया कि पुलिस मामले में यह जानने का प्रयास कर रही है कि आखिर महीला ने अपने ही कोख से जन्माए बच्चा को क्यों मार डाला।
बाइट- सतीश कुमार थाना प्रभारी मुफस्सिल