सतनाम सिंह
मणिपुर आदिवासी महिलाओं के साथ यौन अत्याचार एवं सामूहिक दुष्कर्म करने के मामले को लेकर बुधवार को संथाल परगना जगवार बैसी, मांझी परगना लहंती बैसी एवं आदिवासी समाज के लोगों के द्वारा प्रखंड के कल्याण छात्रावास परिसर से अंबेडकर चौक तक काला बिल्ला लगाकर कैंडल मार्च कर मणिपुर सरकार के खिलाफ जमकर विरोध प्रदर्शन किया गया. वही आदिवासी समाज के लोगों ने कहा कि लंबे समय से मणिपुर में कुकी आदिवासियों के ऊपर हिंसात्मक जातीय हमला हो रहा है. मणिपुर के आदिवासी महिलाओं के साथ यौन अत्याचार एवं सामूहिक दुष्कर्म किया जा रहा है. देश के प्रधानमंत्री नारा देते हैं कि बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ पर देश के ही पूर्वी हिस्से में आदिवासी महिलाओं को भीड़ में नग्न करवा कर परेड करवाया जा रहा है. निर्दोष आदिवासियों को प्रताड़ित एवं निशाना बनाया जा रहा है. कहा कि अब तक मणिपुर की भाजपा सरकार जातीय हिंसा को रोकने में असक्षम दिख रहे हैं. केंद्र सरकार भी मणिपुर की घटना को लेकर चुप्पी साधे हुए हैं, जबकि केंद्र सरकार को मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए बलपूर्वक हस्तक्षेप कर लेना चाहिए, लेकिन केंद्र एवं मणिपुर की डबल इंजन वाली भाजपा सरकार आदिवासियों के ऊपर हिंसात्मक हमले को लेकर शांत बैठे हुए हैं. इससे साबित हो रहा है कि भाजपा सरकार देश से आदिवासियों को मारकर खत्म करना चाहती है, क्योंकि देश की अधिकतर जंगल जमीन एवं खनिज संपदा आदिवासियों के पास ही है. भाजपा सरकार आदिवासियों को कम न समझे आदिवासियों ने अंग्रेजो के खिलाफ आजादी का पहला जनक्रांति छेडा था. हम सभी आदिवासी समाज मणिपुर के आदिवासियों के साथ हैं, एवं मणिपुर की कुकृत्य घटना घोर निंदा करते हैं. कहा कि मणिपुर सरकार मणिपुर में जल्द शांति बहाल करने का पहल करें. वही जागवार. बैसी के सचिव धोने मरांडी ने कहा कि आदिवासी समाज समान नागरिक संहिता कानून का भी विरोध करते हैं. समान नागरिक संहिता आदिवासियों के खिलाफ एक काला कानून है. मौके पर धोने मरांडी, कीनू मारंडी, बाबूधन मुर्मू, जोगेंद्र मुर्मू, अनिल हेम्ब्रम, सुनील किस्कु, मनोज किस्कु, कमलाकांत मुर्मू, खुदू सोरेन, थोमस टूडू सहित सैकड़ों की संख्या में आदिवासी समाज के सैकड़ो लोग मौजूद थे।