सतनाम सिंह
सरकार और प्रशासन की उपेक्षा का शिकार हो गई है बांसलोई नदी,
नदी का सिकुड़ता रूप नदी का अस्तित्व खो रहा है, कहीं न कही कोयला खनन कंपनी भी है जिम्मेदार।
बच्चे बांसलोई नदी को खेल मैदान के रूप में कर रहे हैं उपयोग
भीषण गर्मी में महेशपुर के लोगों को पानी के लिए परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। प्रखंड के नदी, नाला, तालाब सूखने लगा है, तो कुआं चापाकल का जलस्तर भी नीचे की ओर चला गया है। प्रखंड की दो प्रमुख नदियां बांसलोई नदी और पगला नदी है। इन दिनों बांसलोई नदी नाले का रूप ले चुकी है। नदी में घना घास और पौधा उग चुका है। बांसलोई और पगला नदी में जगह-जगह जल जमाव भी हो गया है। वहीं कुछ ग्रामीण बांसलोई नदी से चुआ खोदकर पीने का पानी प्रयोग में ला रहे हैं. तो कोई जार का पानी खरीद कर पीने को मजबूर है। साथ ही गर्मी के साथ ही क्षेत्र में पशु पक्षियों को पिलाने के लिए पानी का भी गंभीर संकट पैदा हो गया है। अधिकतर गांव में तालाब गर्मी से सुख गया है. जिसके चलते ग्रामीणों को पेयजल के साथ-साथ पशुओं को पानी पिलाने के लिए भी परेशान होना पड़ रहा है. महेशपुर क्षेत्र की जनता को पानी की आपूर्ति कराने के लिए करोड़ों रुपए की लागत से पानी टंकी बनी है. लेकिन इस समय पानी टंकी हाथी का दांत साबित हो रही है. पानी टंकी बनने के बाद ग्रामीणों को एक बूंद पानी उपलब्ध नहीं करा सकी. जिससे लोगों में काफी रोष देखी जा रही है।
बच्चे बांसलोई नदी को खेल मैदान के रूप में कर रहे हैं उपयोग
महेशपुर की लाइफ लाइन माने जाने वाली बांसलोई नदी में पानी नहीं होने की वजह से यहां के बच्चे अब इसे खेल मैदान के रूप में उपयोग कर रहे हैं. प्रतिवर्ष बरसात का कुछ पानी इस नदी में कहीं-कहीं इकट्ठा होता है लेकिन इस बार बांसलोई नदी नाले की रूप लेकर एकदम सूखा पड़ गया है. जिससे यहां के लोग बोरिंग और जार के पानी पर ही आश्रित है. बांसलोई नदी खेल मैदान बनकर रह गया है जो चिंता का विषय है।
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