सतनाम सिंह
पाकुड़ सदर प्रखंड के सोना जोड़ी पंचायत में एक शक्स मेघुआ रविदास जो की नब्बे के दसक सड़क फिल्म का गाना गाने को मजबुर है। बहु चर्चित गाना रहने को घर नहीं सोने को बिस्तर नहीं अपना ख़ुदा है रखवाला अबतक उसी ने है पाला
जिले के सोनाजोड़ी पंचायत के सोना जोड़ी गांव में एक बुजुर्ग आदमी के घर गिर जाने से हो रही है परेशानी एक और जहां राज्य और केंद्र सरकार विकास की दावा करती है, हर गरीब को घर और खाना देने की बात करती है, लेकिन आज भी पाकुड़ प्रखंड अंतर्गत सोनाजोरी पंचायत में दर्जनों ऐसे झोपड़ी जो सरकार की आवास योजना के लिए आस लगाए बैठे हैं । वही सोना जोड़ी गांव में एक ऐसा इंसान जिनके पास ना रहने का घर है और ना ही नींद के लिए अच्छी बिस्तर उसका तो खुदा ही रखवाला है । रही खाने की बात तो इंसानियत अभी जिंदा है गांव वाले मिलकर उसे कभी-कभी खाने को दे देते हैं आखिरकार सरकार की योजनाएं महज एक दिखावा मात्र है गरीबों तक सरकार की योजनाओं का लाभ नहीं पहुंच पा रहा है वही अंबेडकर आवास की बात करें तो ऐसे महिलाएं जो कि सरकार के आस लगाए बैठे शायद उन्हें सरकार के द्वारा अंबेडकर आवास नसीब हो जाए । वही 50 से 60 साल का यह बुजुर्ग व्यक्ति किताब के पन्नों पर अपनी जिंदगी काट रहा है ।इस गरीब के पास दो वक्त की रोटी भी नसीब नहीं है ठीक से यह व्यक्ति केवल वोट मात्र देता है सरकार को इसका अधिकार बच गया है । यह व्यक्ति सरकार को नहीं कोसता वह अपनी किस्मत को कोसता है वह कहता है हम गरीब क्यों पैदा हुए
लेकिन विडंबना यह है की इस गरीब की सुधि लेने वाला आज तक कोई नहीं आया, ना कोई नेता देखने आया ना कोई अधिकारी मिलने आया आखिरकार किताब के पन्नों पर कट रहीं है जिंदगी। वैसे तो अंबेडकर आवास योजना प्रधानमंत्री आवास योजना और ना जाने ऐसे कितने योजनाएं हैं जिसे गरीबों तक पहुंचाने की दावा सरकार दरबार लगाकर करती है। लेकिन क्या ये गरीब सरकार के पन्नो में नही है। जिनको मिलना चाहिए वह कोसों दूर है और जिन को नहीं मिलना चाहिए वह आज पक्के के मकान में है।। जरूरत है हम समाज को भी आगे बढ़ चढ़कर हिस्सा लेकर ऐसे गरीबों के लिए आवाज उठाएं ताकि सरकार की ध्यान इस ओर आकर्षित हो और कम से कम इस गरीब को रहने का एक छोटा सा मकान हो जाए खाने के दो वक्त का रोटी मिल जाए।।