हमारा झारखंड प्रदेश किसी जन्नत से कम नहीं है। कीमती खनिज संपदा से परिपूर्ण है और देश का सबसे बड़ा खाजाना झारखंड में ही पाया जाता है। लेकिन इस सोना झारखंड को यहां के नेताओं एवं ब्यूरोक्रेट्स ने खा खाकर खोखला बना दिया है। आलम यह है कि यहां के लोगों को दूसरे राज्यों में या विदेशों में पलायन करने के लिए जाना पड़ता है। उनके साथ भारी शोषण किया जाता है। राज्य से बाहर पलायन जाने वाले 100% लोगों में से 80% लोग ही बहु मुश्किल से घर वापस आ पाते हैं। उनमें से 10% लोगों की मृत्यु शोषण और इलाज के अभाव में हो जाती है और बाकी 10 पर्सेंट लोगों को हमेशा के लिए बेच दिया जाता है। इस काम में लड़कियां सबसे ज्यादा शोषण का शिकार बनती है। उन्हें देह व्यापार के कामों में भी धकेल दिया जाता है और दलाल इन से मोटी रकम कमाते हैं।
फोटो में दिख रहे मजदूर हमारे झारखंड प्रदेश के साहिबगंज जिला से हैं। उन्हें 2023 में दलालों के द्वारा काम दिलाने के बहाने के घर से ले जाया जाता है और इसके बाद दमन और दीव नाम के जगह पर एक दूसरे दलाल के हाथों बेच दिया जाता है। जहां उन्हें कैद करके रखा गया था।उनके साथ भारी-भरकम शोषण किया जाता था। बड़ी मुश्किल से इन मजदूरों ने चाहर दीवारों के भीतर से अपनी आवाज लगाई। और “अमन प्रयास” नामक संस्था के पहल पर आज अपना घर वापस पाने में कामयाब हो सके हैं। इसके इस काम में समाजसेवी विनयलाल मरांडी ने भी बहुत बड़ी बड़ी भूमिका निभाई है।कल जब ये सभी मजदूर बरहरवा रेलवे स्टेशन पर उतरे तो समाजसेवी विनयलाल मरांडी ने इन सब मजदूरों से मिलने उनका गांव गया। मजदूरों से मिलकर हाल समाचार जाना और कुशल क्षेम पूछा।