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October 19, 2025 1:23 pm

रेंजर अनिल कुमार सिंह और डीएफओ महालिंग की कानूनी लड़ाई में मिली बड़ी राहत, न्यायालय ने खारिज किए आरोप

पाकुड़: झारखंड वन विभाग में एक ऐतिहासिक कानूनी लड़ाई का अंत हाल ही में हुआ, जब केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) ने डीएफओ महालिंग के पक्ष में फैसला सुनाया और उन पर लगे सभी आरोपों को खारिज कर दिया। इस मामले में तत्कालीन रेंजर अनिल कुमार सिंह का अहम योगदान रहा, जिन्होंने महालिंग का पूरी तरह समर्थन किया और उनके पक्ष में मजबूत पैरवी की। मामला 2019 का है, जब महालिंग को पाकुड़ वन प्रमंडल में योगदान देने के बाद विवादों का सामना करना पड़ा। महालिंग पर आरोप था कि उन्होंने मेसर्स ईस्टर्न कोल फील्ड्स लिमिटेड के खदानों के वन भूमि अपयोजन प्रस्ताव पर गलत आपत्तियां उठाईं, साहिबगंज-राजमहल ट्रांसमिशन लाइन के संबंध में समय पर कार्रवाई नहीं की और विभागीय कार्यों में लापरवाही बरती। इन आरोपों के चलते महालिंग के खिलाफ विभागीय कार्रवाई शुरू हुई, जो तीन वर्षों तक लंबित रही। अक्टूबर 2022 में महालिंग ने केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण (कैट) का दरवाजा खटखटाया। रेंजर अनिल कुमार सिंह ने पूरी तरह से महालिंग का साथ दिया और अदालत में इन आरोपों को झूठा और निराधार बताया। उनकी तर्कसंगत दलीलें और कानूनी पैरवी ने न्यायालय को महालिंग के पक्ष में निर्णय देने के लिए मजबूर किया। 19 जनवरी 2023 को न्यायाधिकरण ने महालिंग के पक्ष में फैसला सुनाया और सरकार ने आरोपों को वापस ले लिया। इसके साथ ही, महालिंग को विभागीय कार्रवाई से राहत मिली। रेंजर अनिल कुमार सिंह का इस संघर्ष में अहम योगदान रहा। उन्होंने विभागीय विवादों के बावजूद महालिंग का समर्थन किया और उनके पक्ष में आवाज उठाई। यह घटना झारखंड वन विभाग के कर्मचारियों के लिए प्रेरणास्पद बन गई है, जहां सत्य और ईमानदारी से न्याय की लड़ाई लड़ी गई। यह मामला यह साबित करता है कि सही दिशा में की गई कानूनी लड़ाई और ईमानदारी से की गई पैरवी अंततः न्याय की जीत होती है।

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