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July 27, 2025 6:38 pm

मनरेगा की वृक्षारोपण योजना से शंकर दास की जिंदगी में आई नई दिशा, बागवानी से बने आत्मनिर्भर।

पाकुड़िया प्रखंड मुख्यालय से करीब 10 किलोमीटर दूर स्थित आदिवासी बहुल डोमनगड़िया पंचायत के ऊपर पारकोड़ा गांव के किसान शंकर दास ने अपनी मेहनत और सरकार की योजनाओं के बेहतर उपयोग से वो कर दिखाया है जो पूरे इलाके के लिए प्रेरणा बन गया है. आर्थिक तंगी से जूझ रहे इस किसान को मनरेगा की वृक्षारोपण योजना ने नई दिशा दी और आज वे बागवानी के जरिए आत्मनिर्भर जीवन जी रहे हैं. वित्तीय वर्ष 2016-17 में मनरेगा के तहत शंकर दास को वृक्षारोपण योजना का लाभ मिला. पहले मजदूरी कर किसी तरह अपने परिवार का पालन करने वाले शंकर के पास जमीन तो थी, लेकिन संसाधनों की कमी के कारण वे खेती नहीं कर पा रहे थे. योजना से सहायता मिलने के बाद उन्होंने इस ज़मीन पर कटहल,आम,शीशम, सागवान,मेहीगीनी और गम्हार जैसे इमारती और फलदार वृक्षों की बागवानी शुरू की. जहां पहले केवल जंगली घास उगती थी,आज वहीं पर हरियाली लहलहा रही है.उसके बागवानी में लेंगड़ा, खिस्सापति,हिमसागर,गुलाब खास जैसे अच्छे किस्म के आम की उत्पादन कई कुंटल होती है जो नजदीकी पश्चिम बंगाल के व्यपारी आकर अच्छे दामों में खरीदारी करते हैं. उनकी मेहनत और योजना के बेहतर क्रियान्वयन का नतीजा है कि आज यह बागवानी क्षेत्र में स्थानीय लोगों के लिए प्रेरणास्रोत बन गया है. आसपास के दर्जनों गांवों के ग्रामीण अब शंकर की सफलता से प्रेरित होकर अपनी बेकार पड़ी जमीनों पर मेहनत कर रहे हैं. इंटरक्रॉपिंग से सब्जियों का उत्पादन,बढ़ी आमदनी
शंकर ने बागवानी के बीच आलू, प्याज, टमाटर, लहसुन, खीरा, भिंडी, धनिया और मिर्च जैसी सब्जियों की इंटरक्रॉपिंग भी शुरू की है. इससे उन्हें रोज़ाना ताज़ी और पौष्टिक सब्जियों की उपलब्धता तो है ही, साथ ही आमदनी में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है. आर्थिक स्थिति में सुधार होने के बाद अब परिवार का भरण पोषण व पालन शंकर दास अच्छे से कर रहे हैं. उन्होंने अपने पक्के घर का निर्माण किया है और परिवार के साथ घर मे एक छोटी सी दुकान भी चला रहे हैं, जिससे नियमित आय होती है.

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