75 साल आज़ादी के बाद भी खटिया एंबुलेंस!
पाकुड़ | झारखंड के अमड़ापाड़ा प्रखंड अंतर्गत डुमरचिर पंचायत का बड़ा बासको गांव — जहाँ आज भी मरीजों को खटिया पर लादकर जंगल-पहाड़ पार कर इलाज के लिए ले जाया जाता है। एक ताज़ा वीडियो में दिखा कि कैसे दो ग्रामीण एक बीमार शख्स को खटिया पर उठाकर दो किलोमीटर दूर मुख्य सड़क तक ला रहे हैं, ताकि वाहन मिल सके। बरसात में यह रास्ता और जानलेवा बन जाता है। एम्बुलेंस? वह यहाँ कभी नहीं पहुँचती — क्योंकि रास्ता ही नहीं है।
न सड़क, न सुविधा… बस खामोशी
ग्रामीणों ने कई बार प्रशासन से पक्की सड़क की माँग की, पर आज तक फाइलें धूल फांक रही हैं। हालात ऐसे हैं कि कई बार इलाज में देरी जान पर भारी पड़ जाती है।
सवाल वही — क्या यही है विकास?
ग्रामीण पूछते हैं — क्या आज़ादी के 75 साल बाद भी हमें इसी खटिया सहारे ज़िंदगी और मौत के बीच जूझना होगा?
बड़ा बासको की कहानी, सैकड़ों गाँवों की जुबानी। अब देखने वाली बात यह है कि क्या इस बार सिस्टम जागेगा… या फिर एक और वीडियो, एक और दर्द, और वही खामोशी?
