कृषि हमारा संस्कार है: जुली।
सतनाम सिंह
पाकुड़: सावन की हरियाली और कृषि परंपराओं के बीच पाकुड़ जिला परिषद अध्यक्ष जुली खृष्टमनी का एक अलग ही रूप देखने को मिला। उन्होंने पाकुड़िया प्रखंड के अपने पुश्तैनी गांव शहरपुर में पारंपरिक अंदाज़ में धान रोपनी की।राजनीतिक दायित्वों से इतर माटी से जुड़ाव और अपने खेत-खलिहान से प्रेम दिखाते हुए वे खेत में अन्य ग्रामीण महिलाओं के साथ कंधे से कंधा मिलाकर काम करती नजर आईं। कीचड़ भरे खेत में नंगे पांव धान रोपते हुए जुली खृष्टमनी ने यह संदेश दिया कि सार्वजनिक जीवन में रहकर भी अपनी जड़ों और संस्कृति से दूर नहीं हुआ जाता।स्थानीय लोगों ने इस दृश्य को प्रेरणास्रोत बताया और कहा कि यह छवि वर्तमान राजनीति में सादगी और समर्पण का एक सुंदर उदाहरण है। सावन के महीने में जहां खेतिहर किसान वर्षा के भरोसे अपने कार्य में जुटे हैं, वहीं एक जनप्रतिनिधि को भी इस रूप में देखना आम जनता के लिए खास अनुभव रहा।जुली खृष्टमनी ने कहा, “कृषि हमारी परंपरा है, और सावन धान की खेती का मौसम। यह सिर्फ खेती नहीं, बल्कि माटी से आत्मीय रिश्ता है।”
