सियासी सीमाएं टूटीं, गुरुजी के निधन पर सभी दलों ने जताया शोक
पाकुड़: पाकुड़ की सुबह आम दिनों की तरह थी। लोग अपने-अपने कामों में जुटने ही वाले थे कि अचानक एक खबर ने सब कुछ थाम दिया। घड़ियां सुबह के 10:00 बजे का समय बता रही थीं, जब झारखंड आंदोलन के पुरोधा, झारखंड मुक्ति मोर्चा के संस्थापक, और आदिवासी अस्मिता की आवाज दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन की खबर फैली।देखते ही देखते, पूरे पाकुड़ में सन्नाटा पसर गया। झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं की आंखें नम हो गईं, जैसे किसी घर का सबसे बुजुर्ग, सबसे प्यारा सदस्य चला गया हो। चाय की दुकानों से लेकर राजनीतिक दफ्तरों तक, हर जगह बस एक ही चर्चा – “गुरुजी नहीं रहे…”
झामुमो कार्यालय में माहौल भारी था। पार्टी के जिलाध्यक्ष अजीजुल इस्लाम बेहद भावुक होकर बोले, “गुरुजी केवल एक नेता नहीं, झारखंड राज्य के निर्माता थे। जो राज्य आज हमारे पास है, वो उन्हीं की देन है। ईश्वर से प्रार्थना है कि उन्हें स्वर्ग में स्थान मिले और हमें उनके बताए रास्ते पर चलने की शक्ति मिले।”
वही विधायक स्टीफन मरांडी के पुत्री व झामुमो केंद्रीय समिति सदस्य उपासना मरांडी उर्फ पिंकी मरांडी ने इस दुख की घड़ी में कहा कि”बाबा, आप हम सबको छोड़कर चले गए… यह सिर्फ एक सार्वजनिक नहीं, बल्कि मेरे लिए गहरी पारिवारिक क्षति है।”जब-जब बचपन की यादें ताज़ा होती हैं, आप की मुस्कान, आपकी गोद, आपका ‘गुड़िया-गुड़िया’ कहकर बुलाना अब भी कानों में गूंजता है। जब आप खिलौने लाकर मुझे खुश करते थे, वो लम्हे आज याद आ रहे हैं।मेरी सगाई हो या शादी—आपका आशीर्वाद हर मौके पर मेरे साथ रहा। आज ऐसा लग रहा है जैसे मैंने फिर एक अभिभावक खो दिया है। मन बेहद दुखी है, शब्द भी कम पड़ रहे हैं।आप हमारे दिलों में हमेशा जिंदा रहेंगे बाबा।

झामुमो के पूर्व जिलाध्यक्ष श्याम यादव की आंखों में आंसू थे। उन्होंने कहा, “गुरुजी के जाने से ऐसा लग रहा है जैसे कोई युग समाप्त हो गया। उनके बिना झारखंड की कल्पना अधूरी सी लगती है।”

झारखंड मुक्ति मोर्चा के केंद्रीय समिति सदस्य पिंकु शेख ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन को झारखंड की आत्मा पर गहरी चोट बताते हुए कहा,
“गुरुजी सिर्फ एक नेता नहीं थे, वे झारखंड आंदोलन की धड़कन थे। उन्होंने हमें पहचान दी, हक के लिए लड़ना सिखाया और झारखंड को राज्य का स्वरूप दिलाया। उनका पूरा जीवन संघर्ष और आदिवासी समाज के उत्थान को समर्पित रहा।”
झामुमो जिला संगठन सचिव अनारुद्दिन मियां ने दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन पर गहरा शोक व्यक्त करते हुए कहा,
“गुरुजी का जाना झारखंड के इतिहास की एक महान विरासत का अंत है। वे न केवल एक आंदोलनकारी नेता थे, बल्कि उन्होंने आदिवासी समाज को पहचान, सम्मान और अधिकार दिलाने के लिए जीवनभर संघर्ष किया। उनका संपूर्ण जीवन सामाजिक न्याय की मिसाल रहा।उन्होंने आगे कहा,
“आज जब वे हमारे बीच नहीं हैं, तो यह खालीपन केवल राजनीतिक नहीं, बल्कि भावनात्मक भी है।
राजनीतिक मतभेद इस दिन कहीं नहीं थे। भाजपा जिलाध्यक्ष अमृत पांडेय ने भी श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “गुरुजी झारखंड की आत्मा थे। उनके जैसे नेता विरले ही होते हैं। राज्य के लिए उन्होंने जो किया, वो सदियों तक याद रखा जाएगा।”

कांग्रेस प्रखंड अध्यक्ष मंसारुल हक ने कहा, “गुरुजी ने हमेशा दूसरों के लिए जिया। आज उनके जाने से हर दिल ग़मगीन है। उन्होंने आदिवासी समाज को जो पहचान दी, वो अमर रहेगी।”
भाजपा के वरिष्ठ कार्यकर्ता हिसाबी राय ने भी श्रद्धांजलि दी और कहा, “झारखंड आंदोलन के इस योद्धा की यादें हमेशा साथ रहेंगी। हजारों प्रशंसकों की तरह मैं भी शोकसंतप्त हूं।”
जदयू जिलाध्यक्ष गौतम मंडल बोले, “आज जो झारखंड का नक्शा है, उसमें गुरुजी की आत्मा बसती है। उनका जाना सिर्फ झारखंड ही नहीं, पूरे देश के लिए क्षति है।”
झामुमो किसान मोर्चा जिलाध्यक्ष दानियल किस्कू ने कहा, “झारखंड की पहचान, अधिकार और सम्मान की लड़ाई को नई दिशा देने वाले गुरुजी का जाना आदिवासी समाज के लिए अपूरणीय क्षति है। हम उनके आदर्शों को जीवनभर याद रखेंगे।”

कांग्रेस जिला अध्यक्ष श्रीकुमार सरकार ने भी गुरुजी के निधन पर गहरी संवेदना व्यक्त की। उन्होंने कहा, “दिशोम गुरु शिबू सोरेन न सिर्फ झारखंड के निर्माता थे, बल्कि वे सामाजिक न्याय और आदिवासी अधिकारों की आवाज थे। उनका संपूर्ण जीवन संघर्ष, सेवा और सिद्धांतों का प्रतीक रहा। उनके जाने से झारखंड ने एक महान योद्धा और प्रेरक नेतृत्व को खो दिया है। कांग्रेस परिवार उनके संघर्षों को नमन करता है और उनकी आत्मा की शांति की प्रार्थना करता है।श्रीकुमार सरकार ने आगे कहा, “वे हम सभी के लिए आदर्श थे। जिस निष्ठा और प्रतिबद्धता के साथ उन्होंने झारखंड की जनता के लिए लड़ाई लड़ी, वह हमेशा याद रखी जाएगी।हर किसी की जुबान पर बस एक ही बात थी — “गुरुजी चले गए, लेकिन उनकी विरासत, उनके सपने और उनका संघर्ष हमेशा हमारे साथ रहेंगे…”

जिला परिषद अध्यक्ष जूली खृष्टमनी ने कहा—शिबू सोरेन जी की सोच, संघर्ष और नेतृत्व ने झारखंड को एक नई दिशा दी। उनका जीवन आदिवासी समुदाय के उत्थान की गाथा है।”

जिला परिषद उपाध्यक्ष अशोक कुमार भगत ने कहा—दिशोम गुरु का जीवन समाज के अंतिम व्यक्ति के लिए समर्पित था। वे सदैव गरीब, मजलूम और वंचितों के पक्षधर रहे। आज हमने एक प्रेरणास्रोत को खो दिया है।

कांग्रेस प्रदेश महासचिव उदय लखवानी ने कहा—दिशोम गुरु शिबू सोरेन भारतीय राजनीति में आदिवासी आवाज के सबसे बुलंद प्रतीक थे। उनका योगदान इतिहास में स्वर्णाक्षरों में लिखा जाएगा। उन्होंने हमेशा जनहित को प्राथमिकता दी और सत्ता को जनसेवा का माध्यम बनाया।

