कुजू। बाल विद्या मंदिर आरा कोलियरी के प्राचार्य रंजीत कुमार सिंह ने शिक्षक दिवस की आधुनिक स्थिति पर जीडी न्यूज़ से बात करते हुए कहा कि जैसे-जैसे समाज तकनीकी, सामाजिक और नैतिक रूप से विकसित हो रहा है, वैसे-वैसे शिक्षक की भूमिका भी बदल रही है। आधुनिक युग में शिक्षक केवल पाठ्यक्रम पढ़ाने वाला व्यक्ति नहीं रह गया है। वह एक मार्गदर्शक, प्रेरणास्रोत, और कई बार मानसिक सलाहकार की भूमिका भी निभाता है। आज बच्चों को तकनीकी ज्ञान के साथ-साथ जीवन मूल्यों, नैतिकता और भावनात्मक संतुलन सिखाने की ज़रूरत आज पहले से कहीं अधिक है। डिजिटल शिक्षा, ऑनलाइन क्लासेज़ और AI जैसे टूल्स ने शिक्षा को सुलभ तो बना दिया है, लेकिन ये शिक्षक के मानवीय स्पर्श की जगह नहीं ले सकते। शिक्षक विद्यार्थियों को जानकारी से ज्ञान तक पहुँचने की कला सिखाते हैं। वे बच्चों को सोचने, सवाल करने और समझने की आदत डालते हैं, जो किसी ऐप से संभव नहीं। आज की तेज़ रफ्तार और प्रतिस्पर्धा से भरी दुनिया में बच्चों में तनाव, भ्रम और अकेलेपन की समस्या बढ़ी है। ऐसे में एक संवेदनशील शिक्षक बच्चों की भावनात्मक ज़रूरतों को समझता है। उन्हें सकारात्मक दृष्टिकोण और जीवन जीने की कला सिखाता है। यह दिन अपने गुरुओं के प्रति आभार प्रकट करता है। नई पीढ़ी को यह याद दिलाता है कि जिस ज्ञान और सफलता का वे आनंद ले रहे हैं, उसके पीछे किसी शिक्षक का योगदान है। निष्कर्ष- के रूप में कहा जा सकता है कि आधुनिक जीवन में शिक्षक दिवस केवल एक परंपरा नहीं, बल्कि एक आवश्यकता बन चुका है — जो हमें यह याद दिलाता है कि शिक्षक न केवल भविष्य गढ़ते हैं, बल्कि आज के समाज को समझदारी, करुणा और विवेक के साथ जीने का मार्ग भी दिखाते हैं।
