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September 30, 2025 10:08 am

254 साल पुरानी परंपरा, सिंहवाहिनी मंदिर में आज भी अष्टधातु की मां दुर्गा की होती है पूजा।

राजकुमार भगत

पाकुड़। जिला मुख्यालय स्थित राजा पाड़ा का ऐतिहासिक सिंहवाहिनी मंदिर आज भी श्रद्धालुओं की आस्था का प्रमुख केंद्र है। करीब 254 वर्षों से यहां मां दुर्गा की पूजा होती आ रही है। मंदिर की सबसे बड़ी विशेषता है कि यहां मिट्टी की नहीं, बल्कि अष्टधातु की स्थायी प्रतिमा विराजमान है, जिसकी पूजा प्रतिदिन वैदिक विधि से की जाती है।
जानकारों के अनुसार इस मंदिर की स्थापना राजा पृथ्वी चंद्र शाही ने की थी। उस समय यहां तांत्रिक विधि से पूजा होती थी। बाद में सन 1941 में रानी ज्योतिर्मय देवी ने मंदिर का पुनरुद्धार कराया और तांत्रिक पूजा पर रोक लगाकर वैदिक रीति से पूजा का प्रावधान किया। तभी से नवरात्र में बलि प्रथा में बदलाव कर पशु बलि की जगह चाल कुमड़ा की बलि दी जाने लगी, जो परंपरा आज भी कायम है। मां सिंहवाहिनी की पूजा-अर्चना में राज परिवार के लोग भी शामिल होते हैं। मंदिर में 15 शिवलिंग स्थापित हैं, जिनकी नियमित पूजा होती है। मां दुर्गा के सामने महाकाल भैरव की प्रतिमा भी है, जिसकी स्थापना इस मंशा से की गई थी कि मां के क्रोध की स्थिति में क्षेत्र और प्रजा सुरक्षित रहे। भक्तों की मान्यता है कि यहां माथा टेकने से मनोकामनाएं पूरी होती हैं। यही कारण है कि झारखंड के विभिन्न जिलों के साथ-साथ बिहार और बंगाल से भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु सालोंभर यहां पहुंचते हैं। मंदिर का वातावरण हमेशा शांत और आस्था से भरा रहता है।

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