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October 15, 2025 2:35 am

पाकुड़ में सक्रिय है फर्जी आधार रैकेट, हजारों में हो रही वसूली।

पाकुड सहित देश के कई स्टेट में फैला हुआ है यह नेटवर्क, सरकारी सिस्टम में सेंध।

पाकुड़ से एक सनसनीखेज मामला सामने आया है। जिले में फर्जी आधार कार्ड बनाने का संगठित रैकेट सक्रिय है, जो न सिर्फ स्थानीय स्तर पर बल्कि कर्नाटक, उत्तर प्रदेश, असम और जम्मू-कश्मीर तक फैला हुआ है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार, यह गिरोह आधार कार्ड बनवाने के नाम पर लोगों से 10 से 24 हजार रुपये तक वसूल रहा है। चौंकाने वाली बात यह है कि इस पूरे खेल में कुछ जिम्मेदार पदाधिकारियों की मिलीभगत होने की भी चर्चा है। यह गंभीर मामला मुफस्सिल थाना क्षेत्र के एक व्यक्ति द्वारा उजागर किया गया है। नाम न छापने की शर्त पर उसने बताया कि जिले के कई ग्रामीण इलाकों में आधार कार्ड सेंटरों पर फर्जी दस्तावेज तैयार कर आधार कार्ड जारी किए जा रहे हैं। जन्म प्रमाण पत्र, पैन कार्ड, पासपोर्ट, वोटर आईडी और अंक पत्र तक नकली रूप से तैयार कर UIDAI पोर्टल पर अपलोड किए जा रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक, इस रैकेट में शामिल लोग सरकारी कार्यालयों की आईडी का दुरुपयोग कर रहे हैं और दूसरे राज्यों से आईडी एक्सेस कर पाकुड़ में फर्जी आधार कार्ड बना रहे हैं। शिकायत में कोदल काठी ब्रीज,सीतारामपुर, पृथ्वीनगर, अंजना, भवानीपुर, ईलामी, कुरोलपाड़ा, देवतल्ला और अन्य इलाकों के कई संदिग्धों के नाम और मोबाइल नंबर तक दिए गए हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि आधार बनाने वाले खुद फर्जी दस्तावेज तैयार करते हैं और उन्हें UIDAI पोर्टल पर अपलोड कर कार्ड जारी करते हैं। यह सीधा-सीधा राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़ा मामला है। जिला प्रशासन की जानकारी में यह मामला पहले से है, उपायुक्त पाकुड़ को दिए गए आवेदन की प्रति पुलिस अधीक्षक पाकुड़ और UIDAI क्षेत्रीय प्रबंधक रांची को भी भेजी गई है। अब प्रशासनिक स्तर पर इस मामले की जांच की मांग की जा रही है, सूत्र बताते हैं कि यदि जांच में आरोप सही साबित होते हैं, तो यह झारखंड में आधार सिस्टम से जुड़ी अब तक की सबसे बड़ी फर्जीवाड़ा घटना हो सकती है। सूत्रों का यह भी कहना है कि पाकुड़ के कई प्रखंडों में यह रैकेट जिम्मेदार की शह पर चल रहा है। जब भी किसी केंद्र से फर्जीवाड़े की जानकारी डीपीओ कार्यालय तक पहुंचती है, तो संबंधित केंद्र संचालक को जांच के नाम पर जिला कार्यालय बुलाया जाता है और वहां उच्च अधिकारियों के नाम पर वसूली की जाती है। बताया जाता है कि हर फर्जी आधार कार्ड सेंटर से महीने में उगाही की खबर है। बाहरी लोगों से पहचान पत्र बनवाने के नाम पर पैसे लेकर उन्हें फर्जी दस्तावेज उपलब्ध कराए जा रहे हैं, जो सीधे तौर पर देश की सुरक्षा से खिलवाड़ है। इस पूरे मामले में जब आधार डीपीओ रितेश श्रीवास्तव से जानकारी लेने के लिए फोन पर संपर्क साधने की कोशिश की गई, तो करीब पांच बार कॉल करने के बावजूद उन्होंने फोन उठाना मुनासिब नहीं समझा। अब यह सवाल उठना लाजिमी है कि जब फर्जीवाड़ा सिस्टम के भीतर से ही हो रहा हो, तो आखिर इसे रोकेगा कौन? पाकुड़ में चल रहा यह आधार रैकेट न सिर्फ प्रशासनिक साख पर सवाल खड़ा कर रहा है, बल्कि देश की पहचान व्यवस्था को भी चुनौती दे रहा है।

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