इकबाल हुसैन
पाकुड़: महेशपुर प्रखंड के गढ़बाड़ी स्थित स्टेट बैंक के ग्राहक सेवा केंद्र (सीएसपी) को लेकर स्थानीय लोगों में गहरी नाराज़गी पनप रही है। केंद्र संचालक फूलचंद घोष पर ग्राहकों के प्रति अनौपचारिक, रूखा और गरम मिज़ाज वाले व्यवहार के आरोप लग रहे हैं।ग्राहकों का कहना है कि सामान्य बैंकिंग सेवा के लिए केंद्र जाने पर संचालक का लहजा अक्सर चिड़चिड़ा रहता है। कई लोगों ने बताया कि कभी-कभी वह ऐसे असहज और असम्मानजनक वाक्य भी बोल देते हैं, जिनसे ग्राहकों की भावना आहत होती है। कुछ लोगों ने आरोप लगाया कि संचालक द्वारा कहा गया— “तुम्हें तेल लगाकर बोलना होगा क्या?”—जैसे शब्द अत्यंत अपमानजनक और अप्रत्याशित हैं।एक महिला ग्राहक ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर कहा,
“हम लोग सुविधा के लिए सीएसपी जाते हैं, मगर उनका व्यवहार इतना तीखा होता है कि कई बार वापस आना ही पड़ता है। अब कई लोग डर या झेंप के कारण सेवा लेने ही नहीं जाते।इसी तरह के अनुभव अन्य कई ग्राहकों ने भी साझा किए। उनका कहना है कि संचालक का व्यवहार पिछले कुछ महीनों से लगातार शिकायत का विषय बना हुआ है।जब इस संबंध में संचालक फूलचंद घोष से फोन पर बात करने की कोशिश की गई तो उन्होंने कोई स्पष्ट जवाब देने से परहेज़ किया। बातचीत के दौरान भी उनका रवैया आरोपों की पुष्टि करता दिखा—गुस्से भरे लहजे और कटु उत्तर के चलते ग्राहकों की शिकायतें और मजबूत प्रतीत होती हैं।वहीं, स्टेट बैंक महेशपुर शाखा प्रबंधक सौरभ मिश्र ने मामले को गंभीरता से लेते हुए कहा,
“मामले की जांच मेरे स्तर से कराई जाएगी। यदि संचालक ने अनुचित भाषा या व्यवहार किया है, तो कार्रवाई तय है। बैंक सेवा केंद्रों पर शिष्ट व्यवहार अनिवार्य है।”
हालांकि उन्होंने आग्रह किया कि “मामले को अधिक न उछाला जाए और खबर प्रकाशित न की जाए।ग्रामीण क्षेत्रों में बैंकिंग सेवाओं का एकमात्र सहारा माने जाने वाले सीएसपी केंद्रों से ग्राहकों की यह शिकायतें एक बार फिर सवाल खड़ा करती हैं—क्या ग्रामीण बैंकिंग सेवा की गुणवत्ता और व्यवहारिक मानकों पर पर्याप्त निगरानी हो रही है?मामले की जांच के बाद ही तस्वीर साफ होगी, लेकिन स्थानीय लोगों की नाराजगी इस बात का संकेत है कि सेवा केंद्रों पर व्यवहारिक सुधार अब समय की मांग बन चुका है।











