बिना अनुमति करोड़ों की सप्लाई, विभागीय अधिकारी पल्ला झाड़ते नजर आए
पाकुड़: पाकुड़ जिला के सदर प्रखंड विकास कार्यालय में 14वीं और 15वीं वित्त आयोग के तहत किए गए कार्यों को लेकर गंभीर आरोप सामने आए हैं। आरोप है कि बिना किसी अधिकृत वेंडर की नियुक्ति के दो बाहरी व्यक्तियों के माध्यम से करोड़ों रुपये की सामग्री की सप्लाई कराई गई। इन व्यक्तियों के नाम अभिषेक और ओम प्रकाश बताए जा रहे हैं।
एक व्यक्ति दो नाम से बिलिंग कर गटका करोड़ो रुपया,सूत्र
सूत्रों का कहना है कि अभिषेक नामक युवक द्वारा ‘एडविक’ नाम से भी बिल जमा किए गए हैं। इससे विभागीय प्रक्रिया पर सवाल उठ रहे हैं। आरोप है कि प्रशासनिक अनुमति के बिना ही इन दोनों लोगों को सप्लाई का बड़ा जिम्मा दे दिया गया।
अधिकारियों ने किसी भी तरह की नियुक्ति से किया इंकार
मामले पर जब बीडीओ समीर अल्फ्रेड मुर्मू से बात की गई तो उन्होंने कहा कि कार्य नियमानुसार किया जा रहा है। हालांकि उनका जवाब संतोषजनक नहीं माना गया।
वहीं DPM आनंद कुमार ने कहा कि उनके द्वारा कोई वेंडर नियुक्त नहीं किया गया है।
BPRO ने भी कहा कि उन्हें इस तरह की किसी प्रक्रिया की जानकारी नहीं है।
पंचायती राज पदाधिकारी की ओर से भी बताया गया कि उनके विभाग ने कोई वेंडर अधिकृत नहीं किया।
अधिकारियों के इन बयानों से यह सवाल और गहरा हो गया है कि सप्लाई करवा कौन रहा था?
घटिया सामान की सप्लाई, कई परियोजनाएं बेकार होने की कगार पर
सूत्रों के अनुसार दोनों व्यक्तियों द्वारा सप्लाई किया गया सामान बेहद निम्न गुणवत्ता का है। कई योजनाओं में स्थिति चिंताजनक है जैसे जल मीनार: करीब 2.5 लाख की लागत वाली अधिकांश मीनारें फेल,हैंडवॉश स्टेशन: 1.5 लाख की स्कीम, खराब गुणवत्ता,RO और वाटर प्यूरीफायर: कई जगह बेकार पड़े,स्ट्रीट लाइट: कुछ समय बाद खराब,पंचायत भवन व ज्ञान केंद्र सामग्री: घटिया सप्लाई का आरोप
सूत्रों का यह भी दावा है कि कई फर्जी बिल जमा किए गए हैं।
वित्त आयोग के कार्य बिना वेंडर कैसे? ग्रामीणों ने उठाए सवाल
मनरेगा में वेंडर की नियुक्ति जिला प्रशासन करता है, लेकिन 15 वें वित्त आयोग की योजनाओं में बिना किसी नियुक्ति प्रक्रिया के सप्लाई कराई जाना नियमों के विपरीत माना जा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि यह पूरा मामला जांच योग्य है।
बड़े अधिकारी का संरक्षण? जांच की मांग तेज
इस पूरे मामले में यह भी चर्चा है कि दोनों व्यक्तियों को किसी बड़े पदाधिकारी का संरक्षण प्राप्त है। इसी कारण सप्लाई और बिलिंग का कार्य बिना रोक-टोक जारी रहा।स्थानीय लोगों और जानकारों का कहना है कि मामले की निष्पक्ष जांच होने पर कई तथ्य सामने आ सकते हैं।











