पाकुड़ जिला प्रशासन द्वारा सतत आजीविका संवर्धन के लिए चलाई जा रही विकास योजनाएँ अब जमीनी स्तर पर वास्तविक परिवर्तन ला रही हैं। महेशपुर प्रखंड की कानीझाड़ा पंचायत के ग्राम सुराई निवासी मजीबुल शेख ने इसी परिवर्तन को साकार करते हुए अपनी वर्षों से खाली पड़ी भूमि को हरियाली और आय का मजबूत साधन बना दिया है।
संघर्ष की शुरुआत, उम्मीद का अभाव
आर्थिक तंगी, सीमित संसाधन और अनुपयोगी भूमि—इन सभी चुनौतियों के कारण मजीबुल शेख का परिवार स्थायी आय से वंचित था। खेती करने का सपना होते हुए भी संसाधनों की कमी के चलते उन्हें मजदूरी और पलायन पर निर्भर रहना पड़ता था।
परिवर्तन की दिशा: बिरसा हरित ग्राम योजना
जिला प्रशासन के द्वारा मजीबुल शेख को बिरसा हरित ग्राम योजना से जोड़ते हुए खेती की नई राह प्रदान की। योजना के अंतर्गत मिश्रित खेती करके , प्याज़, आलू, गोभी, बैंगन, टमाटर जैसी नगदी फसलों का उत्पादन,सिंचाई व्यवस्था सुदृढ़ करने इन प्रयासों से उनकी सूनी पड़ी भूमि उपजाऊ कृषि क्षेत्र में परिवर्तित हुई और उत्पादन क्षमता में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई।
नई ऊर्जा, नई समृद्धि
खेती शुरू होते ही न केवल मजीबुल शेख की आय में वृद्धि हुई, बल्कि स्थानीय ग्रामीण मजदूरों को भी रोजगार के अवसर प्राप्त हुए। इससे गांव में आर्थिक गतिविधियों को नया बल मिला और परिवार पूरी तरह आत्मनिर्भर बन सका।
लाभुक मजीबुल शेख ने बताया कि मेरे लिए यह योजना सिर्फ खेती नहीं, बल्कि जीवन में नई रोशनी है। जो सपना वर्षों से मन में था, वह अब पूरा हो चुका है। जिला प्रशासन व आजीविका मिशन से मिले सहयोग के लिए मैं हृदय से आभारी हूँ।
सफलता के आँकड़े
पूर्व वार्षिक आय (योजना से पहले): ₹33,000, वर्तमान वार्षिक आय (योजना के बाद): ₹1,43,000, कुल आय वृद्धि: ₹1,10,000 हुआ। यह सफलता कहानी प्रमाण है कि सरकारी योजनाएँ जब सही लाभुक तक पहुँचती हैं तो बंजर भूमि भी समृद्धि में बदल सकती है।











