महेशपुर प्रखंड के कानीझाड़ा पंचायत स्थित नुराई गांव में मनरेगा के तहत लागू बिरसा हरित ग्राम योजना ने गांव की सूनी पड़ी जमीन को न सिर्फ हरा-भरा बनाया बल्कि ग्रामीणों की आजीविका को भी नई रफ्तार दी है। वित्तीय वर्ष 2023-24 में ग्राम सभा ने लाभुक मजिबुल शेख की 0.5 एकड़ भूमि का चयन किया और पंचायत द्वारा स्वीकृति के बाद काम शुरू हुआ।
वर्षों से खाली पड़ी जमीन अब रोजगार और आय का आधार
लाभुक की जमीन लंबे समय से बेकार पड़ी थी। योजना शुरू होते ही ग्रामीण मजदूरों को काम मिला और गांव में स्थानीय स्तर पर रोजगार के नए अवसर बने। मनरेगा के प्रभावी संचालन का परिणाम है कि पहले बेकार पड़ी भूमि आज आजीविका का केंद्र बन चुकी है।
पेड़, पौधे और सब्जियाँ—गांव में बढ़ी हरियाली, बढ़ी कमाई
आधा एकड़ क्षेत्र में आम, अमरूद, नींबू, केला, कटहल और सागवान के पौधे तेजी से विकसित हो रहे हैं। साथ ही प्याज, लहसुन, बैंगन, टमाटर, गोभी, ओल आदि सब्जियों की खेती से मजिबुल शेख अब तक 8–10 हजार रुपये की अतिरिक्त आय कमा चुके हैं। आने वाले वर्षों में फलों और लकड़ी के पेड़ों से आय और बढ़ने की उम्मीद है।
मनरेगा ने पूरा किया बागवानी का सपना
मजिबुल शेख ने कहा कि वे हमेशा बागवानी करना चाहते थे, लेकिन आर्थिक तंगी के कारण यह सपना अधूरा था। मनरेगा ने उनके सपने को हक़ीक़त में बदल दिया। उन्होंने कहा—यह योजना हमारे परिवार की आर्थिक स्थिति बदल देगी। मैं बहुत खुश हूँ और आगे और मेहनत करूँगा। उन्होंने राज्य सरकार और जिला प्रशासन के प्रति आभार भी जताया।
गांव में बदली तस्वीर—हरियाली और स्वावलंबन की ओर कदम
बिरसा हरित ग्राम योजना ने नुराई गांव के किसानों को स्थायी आय, रोजगार और हरियाली का मजबूत आधार दिया है। यह सफलता मनरेगा के पारदर्शी और गंभीर क्रियान्वयन का सटीक उदाहरण पेश करती है।







