राजकुमार भगत
पाकुड़ (बलिहारपुर)। सरस्वती शिशु विद्या मंदिर, बलिहारपुर में शनिवार को सप्तशक्ति संगम कार्यक्रम उत्साहपूर्वक आयोजित हुआ। आरएसएस के शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में आयोजित इस कार्यक्रम की शुरुआत संयोजिका कल्पना देवी, विभाग संयोजिका सह प्रधानाचार्या (बोरियो) हेमा देवी, कार्यक्रम अध्यक्ष शबरी पाल, काजल और निभा जी द्वारा संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलन से हुई।
कार्यक्रम में आचार्या ने सप्तशक्ति संगम की प्रस्तावना रखते हुए मातृशक्ति की भूमिका को रेखांकित किया। विद्यालय की माताओं द्वारा मधुर गीत प्रस्तुत किए गए। कार्यक्रम की मुख्य वक्ता हेमा देवी ने माताओं को संबोधित करते हुए परिवार की एकता और समरसता पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि पारिवारिक बिखराव को रोकने का सबसे प्रभावी उपाय संयुक्त परिवार प्रणाली को बढ़ावा देना है। बड़ों का सम्मान, आपसी स्नेह और बेटियों को संस्कारयुक्त शिक्षा—ये भारतीय परिवार की सबसे बड़ी शक्ति हैं। कार्यक्रम में प्रेरणादायी महिलाओं की झांकी भी आकर्षण का केंद्र रही, जिसमें सावित्रीबाई फुले की भूमिका शुभ्रा खां और अहिल्याबाई केलकर की भूमिका अनन्या ने प्रस्तुत की। सीआईएफ में कार्यरत एक महिला को अंगवस्त्र देकर सम्मानित किया गया। शबरी पाल ने माताओं से कहा कि राष्ट्रहित में बच्चों को संस्कारित करना हर महिला की प्राथमिक जिम्मेदारी है। कार्यक्रम का संचालन नीलम देवी ने किया और आचार्या शीतल देवी ने सभी माताओं को संकल्प दिलाया। मारवाड़ी महिला समिति ने विद्यालय को हारमोनियम भेंट किया। अंत में सभी माताओं को गीता और सप्तशक्ति संगम प्रपत्र देकर सम्मानित किया गया और कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।







