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December 22, 2025 4:44 am

तारानगर पंचायत में आवास–मनरेगा में करोड़ों का खेल।

फर्जी निकासी के आरोप, ग्रामीणों ने DDC से जांच की मांग की।

पाकुड़: पाकुड़ सदर प्रखंड के तारानगर पंचायत में सरकारी योजनाओं के क्रियान्वयन पर गंभीर सवाल उठने लगे हैं। प्रधानमंत्री आवास योजना, अबुआ आवास योजना और मनरेगा के वृक्षारोपण कार्य में बड़े पैमाने पर अनियमितता और फर्जी निकासी के आरोप सामने आए हैं। ग्रामीणों ने 4 नवंबर को उप विकास आयुक्त एवं जिला पंचायत राज पदाधिकारी को लिखित शिकायत सौंपकर पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच की मांग की है। ग्रामीणों का आरोप है कि कई लाभुकों के नाम पर आवास स्वीकृत कर बिना एक ईंट लगाए ही लाखों रुपये की निकासी कर ली गई। कई मामलों में पहले से पक्का मकान मौजूद रहने के बावजूद जियो-टैगिंग में हेराफेरी कर भुगतान करा लिया गया। मनरेगा वृक्षारोपण में भी ‘कागज पर पौधे—जमीन पर कुछ नहीं’ वाला खेल उजागर होने की बात ग्रामीण कर रहे हैं। अंसारुल हक मामला-प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत ₹1,15,000 की निकासी। ग्रामीणों का आरोप—“जमीन पर एक भी ईंट नहीं, पैसे उठा लिए गए।नूरेजा बीबी मामला में लाभुक के नाम पर ₹1,15,000 की निकासी।आरोप—लाभुक का मकान पहले से ही दो मंजिला पक्का, उसी का जियो-टैग करा भुगतान ले लिया गया। पति—मांसारुल हक, वर्तमान में शिक्षक।नरगिस बीबी (अबुआ आवास)₹1,80,000 की निकासी लेकिन नया घर नहीं।ग्रामीणों का दावा—“दिखाया फोटो जर्जर झोपड़ी का, असल में पक्का दो मंजिला घर मौजूद।”नूरनबी शेख मामला (अबुआ आवास)1,80,000 की फर्जी निकासी का आरोप।ग्रामीणों का कहना—“2019–20 में पत्नी के नाम पहले से आवास स्वीकृत था, दोबारा लाभ उठा लिया गया।

मनरेगा में भी बड़ा खेल—वृक्षारोपण केवल कागज पर?

कुसमा नगर – मोहसिन अली जमीन मामला में वृक्षारोपण स्वीकृत, धरातल पर एक भी पौधा नहीं।फिर भी ₹1,01,745 रुपये की निकासी होने का आरोप।तारानगर – अख्तरुल शेख मामला में 2022–23 में वृक्षारोपण स्वीकृत।ग्रामीणों का आरोप—“साइट पर कार्य शून्य, कागज पर योजना पूरी।

ग्रामीण बोले—“जांच होगी तो पूरा भ्रष्टाचार खुल जाएगा”

ग्रामीणों ने कहा कि पंचायत में आवास और मनरेगा योजनाओं में बड़े पैमाने पर वित्तीय अनियमितता हुई है। आरोप है कि स्थानीय स्तर पर अधिकारी और पंचायत कर्मियों की मिलीभगत से सरकारी धन की बड़ी हेराफेरी की गई है।उनकी मांगें हैं सभी मामलों की जिला स्तर पर जांच हो,जियो-टैग, भुगतान सूची और साइट निरीक्षण की क्रॉस-वेरिफिकेशन हो,दोषी कर्मियों/अधिकारियों पर FIR दर्ज कर कार्रवाई की जाए,ग्रामीणों का दावा है कि यदि प्रशासन मौके पर जांच करेगा, तो “बड़े स्तर का घोटाला” सामने आ जाएगा।

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