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December 22, 2025 8:11 am

बीमार महिला को कंधे पर ढोते दिखे ग्रामीण—छोटा मालीपाड़ा की टूटी सड़क बनी मरीजों की सबसे बड़ी दुश्मन।

प्रशांत मंडल

लिट्टीपाड़ा (पाकुड़)। आज़ादी के 75 साल बाद भी लिट्टीपाड़ा प्रखंड के छोटा मालीपाड़ा गांव की तस्वीर नहीं बदली है। हालात इतने बदतर हैं कि बीमारों को घर तक लाने–ले जाने के लिए ग्रामीणों को आज भी माची और खटिया का सहारा लेना पड़ रहा है। सोमवार को इसी जर्जर सड़क ने एक बीमार महिला को समय पर वाहन से घर लाना नामुमकिन कर दिया। मजबूर परिजनों और ग्रामीणों ने उसे माची पर बैठाया और कंधे पर उठाकर पथरीले, दलदली, गड्ढों से भरे रास्ते को पार करवाया। ग्रामीण बताते हैं कि छोटा मालीपाड़ा जाने वाली सड़क सालों से खस्ताहाल है। बारिश हो या धूप, सड़क का नामोनिशान खत्म हो चुका है, ग्रामीणों ने कहा। जगह–जगह बड़े गड्ढे, टूटे रास्ते और नुकीले पत्थर लोगों की रोजमर्रा की मुश्किलें बढ़ा रहे हैं। हालात इतने बदतर हैं कि एंबुलेंस तो दूर, बाइक तक गांव तक नहीं पहुंच पाती। बारिश में यही रास्ता कीचड़ के दलदल में बदल जाता है। ग्रामीणों का कहना है कि जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से कई बार सड़क मरम्मत की मांग की गई, लेकिन नतीजा शून्य है। बीमारों, प्रसूता महिलाओं और बुजुर्गों को अस्पताल पहुंचाना अपने आप में रिस्क बन चुका है। कई बार मरीज रास्ते में ही फंस जाते हैं, जिससे हालत और बिगड़ जाती है। लोगों ने चेतावनी दी है कि अगर सड़क निर्माण पर जल्द ठोस कार्रवाई नहीं हुई, तो वे आंदोलन का रास्ता अपनाने को मजबूर हो जाएंगे। ग्रामीणों का स्पष्ट कहना है—सड़क सुधरे बिना हमारी जिंदगी की ये मुश्किलें खत्म नहीं होने वाली।

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