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December 25, 2025 2:20 am

झारखंड सरकार ने पी-पेसा 2025 में आदिवासियों के अधिकारों पर किया कुठाराघात, महासभा ने किया जोरदार हमला

प्रशांत मंडल

पाकुड़, हिल एसेंबली पहाड़ियां महासभा के अध्यक्ष शिवचरण मालतो ने बुधवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में झारखंड सरकार पर हमला बोला। उन्होंने कहा कि पी-पेसा अधिनियम को 29 वर्ष हो चुके हैं, लेकिन जमीन पर लागू करने की कोई ठोस व्यवस्था नहीं हुई।
मालतो ने आरोप लगाया कि झारखंड कैबिनेट ने 23 दिसंबर 2025 को झारखंड पंचायत राज्य अधिनियम 2001 को “पेसा 2025” का नाम देकर मनाया, जो आदिवासियों और मूलवासियों के संवैधानिक अधिकारों का अपमान है। उन्होंने कहा कि सरकार संविधान की शपथ लेने के बावजूद आदिवासियों और मूलवासियों के जल, जंगल, जमीन और रोजगार पर हाथ डाल रही है। उन्होंने बताया कि झारखंड हाईकोर्ट ने बालू उत्खनन पर रोक लगाई है, लेकिन सरकार 1860 के अंग्रेजी पुलिस कानून के नियंत्रण के जरिए निजी कंपनियों को बालू तस्करी की अनुमति दे रही है। मालतो ने चेतावनी दी कि सरकार द्वारा पारित अधिनियम में असंगत नियमों को लागू कर आदिवासियों की परंपरागत प्रथाओं और संसाधनों पर नियंत्रण खत्म करने की कोशिश की जा रही है। पी-पेसा अधिनियम 1996 के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में पंचायतों को स्वशासन, भूमि संरक्षण, हाट-बाजार नियंत्रण, ऋण व्यवस्था और अन्य सामाजिक-सांस्कृतिक अधिकार दिए गए थे। मालतो ने कहा कि इन अधिकारों को जमीन पर लागू किए बिना सरकार दिन-रात खनिज संपदा और रोजगार लूट रही है। उल्लेखनीय है कि झारखंड उच्च न्यायालय ने 29 जुलाई 2024 को सरकार को निर्देश दिया था कि पी-पेसा अधिनियम के अनुरूप नियमावली बनाए जाएं। इसके खिलाफ अवमानना याचिका भी दायर की गई है, जिसकी अगली सुनवाई 13 जनवरी 2026 को होगी।
मालतो ने स्पष्ट कहा कि सरकार संविधान और कानून का अपमान कर रही है और अगर स्थिति में सुधार नहीं हुआ, तो हाईकोर्ट में कड़ा संघर्ष जारी रहेगा।

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