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दीपक पाण्डेय/खरगोन. बाबा काल भैरव, जिन्हे तंत्र विद्या का देवता कहां जाता है और भगवान शिव का ही रूप माना जाता है. आज हम आपको उन्हीं के एक ऐसे प्राचीन मंदिर के बारे बता रहे है जिसकी महिमा मुगलकाल में औरंगजेब और उसकी सेना भी देख चुकी है. कालांतर में यह मंदिर श्री छप्पन देव के नाम से प्रख्यात होकर पूरे विश्व में एकमात्र मंदिर है.
मध्य प्रदेश के खरगोन जिले में मां नर्मदा नदी के किनारे बसे प्राचीन नगर मंडलेश्वर में कसरावद रोड़ पर मौजूद देश के एकमात्र श्री छप्पन देव मंदिर का इतिहास करीब ढाई हजार साल पुराना है. एमपी सहित देश के अन्य राज्यो से भक्त अपनी मनोकामनाएं लिए यहां आते है. मान्यता है की यहां मांगी हुई हर मुराद पूरी होती है. मन्नत उतारने के लिए भक्त पशु की बलि देते है.
मुगलों ने भी देखी महिमा
इतिहास के जानकर दुर्गेश कुमार राजदीप ने कहा कि काल भैरव का यह मंदिर श्री छप्पन देव मंदिर के नाम से प्रख्यात है. पहले मंदिर के चारों दिशाओं में सभा मंडप बने हुए थे. मुगलकाल में दक्षिण यात्रा के दौरान औरंगजेब ने इस क्षेत्र के सारे मंदिरों को ध्वस्त कर दिया. वह मंडलेश्वर पहुंचा तो उसने इस मंदिर के भी तीन सभा मंडप तोड़ दिए. परंतु काल भैरव के सभा मंडप को नहीं तोड़ पाया. इसे बाबा का चमत्कार ही माना जाता है और तब से इस मंदिर में काल भैरव की प्रसिद्धि बड़ी है.
दी जाती है पशु बलि
वें बताते है की उत्तर दिशा में गुरु गोरखनाथ, दक्षिण दिशा में स्वयं बाबा काल भैरव, पूर्व में शिवालय एवं पश्चिम दिशा में सरस्वती विराजमान है. मुगलकाल में ही यहां पशु बलि देने की परंपरा शुरू होने से ब्राह्मणों ने मंदिर में पूजा करने से मना कर दिया, तब से आजतक केवट समाज द्वारा मंदिर में सेवा दी जा रही है.
भैरव अष्टमी पर होंगे यह आयोजन
मंदिर के पुजारी अजय केवट बताते है की हर साल भैरव अष्टमी पर यहां बड़ा आयोजन होता है. वर्ष 2023 में भैरव अष्टमी 5 दिसंबर को आने वाली है. इस दिन यहां सुबह से हवन होगा. इसके बाद विशाल भंडारे का आयोजन रहेगा. शाम 5 से 7 बजे तक भव्य शोभायात्रा निकाली जाएगी. 7:30 बजे महाआरती एवं महाप्रदी का वितरण होगा.
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Tags: Local18, Madhya pradesh news, Religion 18
FIRST PUBLISHED : November 21, 2023, 19:12 IST
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