आईटीडीए कार्यालय से 12.38 करोड़ की फर्जी निकासी का खुलासा
तीन कर्मचारी हिरासत में, एसबीआई अधिकारियों की भूमिका भी जांच के घेरे में
पाकुड़। समेकित जनजातीय विकास अभिकरण (आईटीडीए) कार्यालय से करोड़ों रुपये की अवैध निकासी के मामले में पुलिस ने बड़ी कार्रवाई करते हुए तीन नामजद आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ शुरू कर दी है। हिरासत में लिए गए आरोपियों में कार्यालय अधीक्षक (बड़ा बाबू) मानवेंद्र झा, कंप्यूटर ऑपरेटर सूरज कुमार केवट और अनुसेवक अक्षय रविदास शामिल हैं।
शुक्रवार को आईटीडीए निदेशक एवं कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार एक्का की लिखित शिकायत पर नगर थाना में कुल 26 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। प्राथमिकी के अनुसार आरोपियों ने फर्जी हस्ताक्षर कर 12 करोड़ 38 लाख 66 हजार रुपये की अवैध निकासी की।
✴️ हस्ताक्षर नहीं मिले, फिर भी बैंक से हुआ भुगतान
कल्याण पदाधिकारी की शिकायत में कहा गया है कि 1 फरवरी 2025 से अब तक 74 ऐसे फर्जी एडवाइस जारी किए गए, जिन पर किए गए हस्ताक्षर का पूर्ण मिलान नहीं होने के बावजूद भारतीय स्टेट बैंक द्वारा भुगतान कर दिया गया। मामले में जब एसबीआई शाखा प्रबंधक अभिनव कुमार से सवाल किया गया तो उन्होंने जानकारी देने से इनकार कर दिया।
वहीं एसबीआई के क्षेत्रीय प्रबंधक पवन कुमार ने कहा कि—
“बैंक ने अपने सभी नॉर्म्स का पालन करते हुए भुगतान किया है।”
✴️ 15 साल से जमे कर्मी, पुराने घोटाले की भी आशंका
कार्यालय अधीक्षक मानवेंद्र झा और कंप्यूटर ऑपरेटर सूरज केवट पिछले 15 वर्षों से एक ही कार्यालय में पदस्थापित हैं।
दोनों कर्मियों द्वारा बैंक स्टेटमेंट में फर्जी कॉलम बदलकर छात्रवृत्ति या वेंडर भुगतान दर्शाया जाता था, और वही स्टेटमेंट कार्यालय में जमा किया जाता था, जिससे अवैध निकासी पर किसी की नजर नहीं गई। अधिकारियों का मानना है कि यदि इनके पूरे कार्यकाल की जांच हुई तो घोटाले की राशि कहीं अधिक हो सकती है।
✴️ निलंबन की प्रक्रिया शुरू, रिकवरी की तैयारी
मानवेंद्र झा और अक्षय रविदास के निलंबन की प्रक्रिया शुरू कर दी गई है। विभाग को पत्र भेजा गया है। कंप्यूटर ऑपरेटर सूरज केवट मानदेय पर कार्यरत हैं, जिनकी सेवा समाप्ति और राशि वसूली की प्रक्रिया जांच के बाद तेज की जाएगी।
✴️ उपायुक्त ने की मैराथन बैठक
मामले की गंभीरता को देखते हुए उपायुक्त मनीष कुमार ने गोपनीय कार्यालय में कई दौर की बैठक कर अधिकारियों को घोटाले की तह तक जाने के निर्देश दिए हैं।
🗣️ पदाधिकारी का बयान

आईटीडीए निदेशक एवं कल्याण पदाधिकारी अरुण कुमार एक्का ने कहा—
“यह मामला अत्यंत गंभीर है। आईटीडीए जैसे संवेदनशील विभाग से फर्जी निकासी चिंता का विषय है।
जांच में पाया गया कि कई एडवाइस पर मेरे हस्ताक्षर से मेल नहीं थे, फिर भी बैंक से भुगतान कर दिया गया।
बैंक अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह संभव नहीं है।
नियम के बावजूद 10 लाख रुपये से अधिक का भुगतान किया गया, जिससे स्पष्ट है कि कई स्तरों पर लापरवाही हुई है।
पूरे मामले की रिपोर्ट जिला प्रशासन को भेज दी गई है और दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के साथ राशि की वसूली की जाएगी।”
🚨 बैंक अधिकारी भी नहीं बचेंगे : एसपी निधि द्विवेदी

पुलिस अधीक्षक निधि द्विवेदी ने कहा—
“यह मामला बड़े वित्तीय अपराध से जुड़ा है।
प्रारंभिक जांच में साफ हुआ है कि विभागीय कर्मचारियों और बैंक अधिकारियों की मिलीभगत रही है।
तीन आरोपियों को हिरासत में लेकर पूछताछ चल रही है।
बैंक खातों और ट्रांजेक्शन की जांच आर्थिक अपराध इकाई व साइबर सेल के सहयोग से की जा रही है।
यदि किसी भी बैंक अधिकारी की भूमिका सामने आती है तो उसके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाएगा।
इस घोटाले में शामिल कोई भी व्यक्ति—चाहे वह विभागीय कर्मचारी हो या बैंक अधिकारी—किसी भी कीमत पर बख्शा नहीं जाएगा।”





