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May 9, 2025 12:17 pm

आलमगीर आलम झारखंड की राजनीति में एक महत्वपूर्ण नाम

आलमगीर आलम: एक नेता जिन्होंने झारखंड के लोगों का दिल जीता

पाकुड़ के विकास के लिए समर्पित आलमगीर आलम की यात्रा

सतनाम सिंह

पाकुड़: झारखंड सरकार के पुर्व मंत्री अलमगीर आलम झारखंड के एक प्रमुख राजनेता हैं, जिन्होंने अपने राजनीतिक जीवन में कई उपलब्धियां हासिल की हैं। वे झारखंड के पाकुड़ से विधायक हैं और राज्य सरकार में मंत्री के रूप में अपना पद संभाले हुए थे।अलमगीर आलम की नेतृत्व क्षमता और समर्पण की प्रतिष्ठा है। वे हमेशा अपने क्षेत्र के लोगों के लिए काम करने के लिए तैयार रहे हैं। उनकी ईमानदारी और निष्ठा ने उन्हें झारखंड के लोगों के बीच बहुत लोकप्रिय बना दिया है। बताते चले की जेल जाने के बाद भी आलमगीर आलम के चाहने वालो में कमी नहीं हुई है। बल्कि उनके लिए लोगों की हमदर्दी और बढ़ती हुई नजर आ रही है। जानकार बताते हैं कि जब से आलमगीर आलम जेल गए हैं तब से पाकुड़ असमंजस की स्थिति से गुजर रहा है। विगत साल के कुछ महीनो में पाकुड़ में कुछ सामाजिक घटनाएं घटी जानकारी अभी बताते हैं कि अगर आलमगीर आलम पाकुड़ में मौजूद रहते तो इन सब घटनाओं पर अंकुश लगाने में कामयाब भी होते। आलमगीर आलम सिर्फ एक समुदाय ही नहीं बल्कि हर सामुदायिक को लेकर चलने वाले नेता हैं। उनके कार्य से हर समुदाय खुश होते थे।

कौन है आलमगीर जिसकी चर्चा जोरों पर है?

आलमगीर आलम झारखंड में पहली बार साल 2019 के विधानसभा चुनाव में पाकुड़ विधानसभा से चुनाव जीतने के बाद 29 दिसंबर 2019 को महागठबंधन के हेमंत सोरेन की सरकार में मंत्री पद का शपथ लिया था। आलमगीर आलम झारखंड सरकार में संसदीय कार्य सह ग्रामीण विकास विभाग के मंत्री बने।
इसके पूर्व आलमगीर आलम 20 अक्टूबर 2006 से 12 दिसंबर 2009 तक झारखंड विधानसभा अध्यक्ष पद पर आसीन थे। उन्होंने अपनी राजनीतिक कैरियर की शुरुआत 1978 में गृह पंचायत महराजपुर से सरपंच पद का चुनाव जीतने के बाद शुरू किया। उनके सरल स्वभाव और न्याय विचार के कारण धीरे-धीरे लोकप्रियता बढ़ती गई।

आलमगीर के चाचा भी रहे हैं कांग्रेस से विधायक

उनके चाचा हाजी एनुल हक कांग्रेस के विधायक थे। इसलिए, शुरू से ही आलमगीर आलम कांग्रेस के विचारधारा से प्रेरित होकर कांग्रेस के संगठन में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रहे थे। राजनितिक में बढ़ते सक्रियता को देख उनके चाचा हाजी एनुल हक ने पाकुड़ विधानसभा का उत्तराधिकारी सौंपते हुए 1995 में आलमगीर आलम को कांग्रेस का प्रत्याशी बनाया गया, लेकिन भाजपा प्रत्याशी बेणीप्रसाद गुप्ता से हार की मुंह देखनी पड़ी।आलमगीर आलम ने इस हार को जीत में बदलने के लिए क्षेत्र में लगातार मेहनत किया, उनका मेहनत रंग लाई और 2000 में पाकुड़ विधानसभा से बेणी गुप्ता को हरा कर पहली बार विधायक बना। उस समय झारखंड एकीकृत बिहार राज्य में था। चार बार कांग्रेस से रहे विधायक बिहार सरकार में आलमगीर आलम को पहली बार विधायक के साथ लघु सिंचाई मंत्री बने। मंत्री आलमगीर आलम पाकुड़ विधानसभा से वर्ष 2000, 2005, 2014 एवं 2019 चार बार कांग्रेस से विधायक बना है। वहीं, वर्ष 1995 एवं 2009 के विधानसभा चुनाव में हार का स्वाद भी चखा है। आलमगीर आलम झारखंड राज्य के साहिबगंज जिला के बरहड़वा प्रखंड क्षेत्र अंतर्गत इस्लामपुर गांव का रहने वाला है। उनका जन्म 1954 में हुआ था। उनके पिता का नाम स्व. सनाउल हक, माता अमीना खातुन, पत्नी निशात आलम, बेटा तनवीर आलम एवं एक बेटी है। आलमगीर आलम तीन भाई हैं, रैसुल आलम और अमीरूल आलम, अमीरुल आलम का कोरोना महामारी से 2022 में उनकी मौत हो गई है।

कांग्रेस नेता ने BSC तक कर रखी है पढ़ाई

आलमगीर आलम ने बीएससी तक पढ़ाई की। उनका बेटा तनवीर आलम कांग्रेस के झारखंड प्रदेश कांग्रेस कमिटी के प्रदेश महासचिव है।

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