प्रशांत मंडल
लिट्टीपाड़ा (पाकुड़) – पशु चिकित्सालय अब मवेशियों की जान बचाने की जगह प्रशासनिक नाकामी का प्रतीक बन गया है। अस्पताल में तैनात डॉ. अभिषेक यादव महीनों से अधिकतर समय गायब रहते हैं। स्थानीय पशुपालक सवाल उठा रहे हैं कि जब अस्पताल में डॉक्टर नहीं हैं तो पशु कहाँ इलाज कराएं। हमारे संवाददाता के 11 बजे अस्पताल पहुंचने पर डॉ. यादव अस्पताल में नहीं थे। जनसेवक अशोक शर्मा ने कहा, मुझे डॉक्टर की उपस्थिति की जानकारी नहीं है। हम सिर्फ ताला खोलते हैं, लेकिन समय सीमा तय नहीं, इसलिए पशु बिना इलाज तड़पते रहते हैं। स्थानीय ग्रामीणों का आरोप है कि डॉ. यादव केवल कभी-कभार ही अस्पताल आते हैं, और वह भी तब जब ऊपर से दबाव आता है। अस्पताल मुख्य रूप से एक जनसेवक पर चलता है, लेकिन दवा की कमी और संसाधनों की कमी के कारण लोग प्राइवेट क्लीनिक या झोलाछाप डॉक्टरों के पास जाने को मजबूर हैं।
विभागीय चुप्पी पर उठे सवाल
क्या पशुपालन विभाग को डॉ. यादव की अनुपस्थिति की जानकारी नहीं? अगर है तो अब तक कोई कार्रवाई क्यों नहीं?
पिछले समय भी उनकी अनुपस्थिति अखबार में दर्ज हो चुकी है।
ग्रामीणों का गुस्सा।
स्थानीय पशुपालक चेतावनी दे रहे हैं कि अगर डॉक्टर अस्पताल नहीं आएंगे तो अस्पताल के सामने धरना दिया जाएगा। उनका कहना है, मवेशियों की जान यूं ही नहीं जाने देंगे। यह लापरवाही नहीं, जिम्मेदारी से भागने का खुला खेल है।
डॉक्टर का बयान।
भ्रमणशील चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. अभिषेक यादव ने कहा, पाकुड़ में भी अतिरिक्त प्रभार था। कैंप और मीटिंग की वजह से लिट्टीपाड़ा अस्पताल नहीं पहुंच पाया।
विभाग की प्रतिक्रिया।
अवर प्रमंडल पशु पालन पदाधिकारी डॉ. अमरदीप सिंह ने कहा, “डॉ. यादव को मुख्यालय में रहने की चिट्ठी चार दिन पहले भेजी गई थी। अगर अनुपस्थित हैं तो कार्रवाई की जाएगी। डीएचओ नीरज गुप्ता ने कहा, मैं नया हूँ। अब से समय पर आएंगे।
लिट्टीपाड़ा का पशु चिकित्सालय अब प्रशासनिक विफलता और संवेदनहीनता का जीवंत उदाहरण बन गया है। अगर विभाग और सरकार ने तुरंत कार्रवाई नहीं की, तो यह केवल पशुओं की ही नहीं, बल्कि आम जनता को भी काफी छती होगी।