गुइलेन – बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) का मामला, लक्षण मिलने पर नजदीकी स्वास्थ्य केंद्र में कराएं उपचार
सतनाम सिंह
शनिवार को प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश शेषनाथ सिंह, उपायुक्त मनीष कुमार व पुलिस अधीक्षक प्रभात कुमार एवं उप विकास आयुक्त श्री महेश कुमार संथालिया के द्वारा संयुक्त रूप से गुइलेन – बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी के प्रति लोगों को जागरूक करने को लेकर जागरूकता रथ को हरी झंडी दिखाकर सदर अस्पताल परिसर से रवाना किया। उपायुक्त ने कहा कि गुइलेन – बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) से किसी भी तरह के दहशत (पैनिक) में नहीं आने की बात कहीं। कहा कि इस बीमारी का ज्यादातर मामला महाराष्ट्र के पुणे में प्रकाश में आया है, राज्य के रांची जिले में मात्र एक संभावित मामला प्रकाश में आया है, जिसका ट्रैवल हिस्ट्री महाराष्ट्र रहा है। इसलिए *किसी भी तरह के अफवाह से बचें। उन्होंने बीमारी के लक्षण से सभी को जागरूक होने और ज्यादा से ज्यादा लोगों को जागरूक करने की बात कहीं। उपायुक्त ने कहा कि जागरूकता रथ के माध्यम से जिले के सभी प्रखंडों में जाकर लोगों को गुइलेन – बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) बीमारी के लक्षण/उपचार के प्रति जागरूक करेगा। उपायुक्त ने जिले के सभी स्वास्थ्य केंद्रों – चिकित्सकों को अलर्ट मोड में रहने को कहा। उन्होंने सिविल सर्जन को बीमारी को लेकर आवश्यक दवाइयों का भंडारण सभी केंद्रों में सुनिश्चित करने को कहा।
गुइलेन – बैरे सिंड्रोम (जीबीएस) का शुरुआती लक्षण:-
हाथों और पैरों में झुनझुनी या सुई चुभने जैसा महसूस होना
मांसपेशियों में कमजोरी, जो पैरों से शुरू होकर ऊपर की ओर फैल सकती है
बढ़ते हुए लक्षण:-
चलने या सीढ़ियां चढ़ने में कठिनाई
कमजोरी, जो हाथों, चेहरे और श्वसन मांसपेशियों तक फैल सकती है
पूर्ण रूप से लकवा
सांस लेने में दिक्कत, जिसके लिए वेंटीलेटर की जरूरत हो सकती है
गंभीर मामले:-