अक्षय कुमार सिंह
रांची। यह यात्रा वृतांत सच्ची घटना को दर्शाती है। लगभग डेढ़ वर्ष पूर्व ललपनिया निवासी अक्षय कुमार सिंह के सपने में बाबा टांगीनाथ मंदिर परिसर में मौजूद भगवान परशुराम का फलसा अथवा टांगी की छवि नजर आती है। सुबह इस सपने को वे घर के अन्य सदस्यों को बताते हैं जिनमें से उनकी पत्नी नीलम सिंह ने उन्हें सपने में देखे गए मंदिर यानी बाबा टांगीनाथ धाम का दर्शन करने के लिए प्रेरित किया। अत: पर्यटन प्रेमी होने के कारण उनके प्रति अक्षय कुमार ने अपने कुछ मित्रों को इस यात्रा में साथ ले जाना चाहते थे किंतु किसी कारणवश यह यात्रा तत्काल में यानी 2024 मे संभव नहीं हो पाया। इसके बाद प्रत्येक चार-पांच महीने बाद इस यात्रा का जिक्र अक्षय कुमार द्वारा अपने मित्रों से की किंतु 2025 सावन के महीने में इस यात्रा को लेकर पुनः ख्याल आता है। अंततः सावन महीने की समाप्ति के बाद रविवार 17 अगस्त को यह यात्रा अक्षय कुमार सिंह ने अपने अन्य मित्रों जिनमें निखिल कुमार शर्मा(नीनी), रविराज गुप्ता, विक्रम यादव एवं अमित कुमार(गोलू) के साथ एक योजना बनाकर सुबह करीब 9:30 बजे रांची से शुरू करते हैं। इस दौरान चारों मित्रों की मुलाकात रातू के काठीटांड़ में होती है। वहां से यह चारों आगे बिजूपाडा मे अपने अन्य मित्र विक्रम यादव को साथ लेते हैं और लोहरदगा होते हुए घाघरा के रास्ते होते हुए चैनपुर थाना मार्ग को पड़कर मंजिल की ओर आगे बढ़ते है। इस संपूर्ण यात्रा के दौरान संपूर्ण रास्ता बड़ा ही रोमांचकारी एवं अलौकिक नजर आता है क्योंकि रास्ते में तरह-तरह के पहाड़, झरना, नदी एवं घने जंगल सहित संकरे रास्ते मिलते हैं। चारों केवल फल का सेवन करते हुए लगभग 2 बजे दिन मे मंदिर तक जा पहुंचे और मंदिर की तलहटी में पूजन सामग्री की दुकान से पूजन सामग्री लेकर आगे बढ़े। वही रास्ते में मंदिर पहुंचने के मार्ग के किनारे पर्वत से निकलता झरना देखकर चारों ने स्नान किया। इस दौरान उनकी थकान पूरी तरह से दूर हो गई। ऊपर मंदिर तक पहुंचाने का मार्ग भी बड़ा ही मनोरम था। मंदिर प्रांगण में पहुंचकर मानों उन्हें अपने वर्षों की तपस्या पूरी हुई। चारों मित्रों ने मंदिर में प्रवेश करने से पहले मंदिर के मुख्य द्वार पर मौजूद घंटे को बारी-बारी से बजाया और बाबा को अपने आगमन की सूचना दी। वहां मुख्य मंदिर में प्रवेश कर मंदिर के पुजारी से विधिवत पूजा करवाकर अपनी यात्रा मानो सफल की। वही मंदिर के लिए ठीक सामने माता का मंदिर भी मौजूद है जहां चुनरी एवं अन्य पूजन सामग्री चढ़ाकर, नारियल फोड़कर सभी ने पूजा की। इसके उपरांत सभी ने भगवान परशुराम के फरसा जिसे स्थानीय भाषा में टांगी कहा जाता है उसका दर्शन कर खुद को धन्य माना क्योंकि इसी टांगी का दर्शन अक्षय कुमार सिंह के सपने में हुआ था। इसके बाद मंदिर के दूसरे दिशा में मौजूद सीधी से सभी नीचे की ओर उत्तर आए और अपने पूजन सामग्री दुकान वाले से पैक करवा कर दुकानदार एवं ब्राह्मण को दक्षिणा देकर वहां से दोबारा अपनी मंजिल रांची की ओर निकल पड़े। रास्ते में उन्होंने एक नए मार्ग को चुना जो की मुख्य शहर गुमला से होते हुए घाघरा होकर रांची की ओर आता है। लगभग सभी मित्र रात के 9:00 बजे अपने शहर रांची पहुंच गए किंतु यह यात्रा सभी के लिए बड़ा ही रोमांचक एवं भक्तिमय रहा। इस यात्रा की सबसे बड़ी बात की वर्षों बाद दो प्रिय मित्र अक्षय कुमार सिंह एवं उनके बाल सखा निखिल कुमार शर्मा उर्फ नीनी एक साथ यात्रा में मौजूद रहे।
अन्य सैलानियों के लिए सुझाव है कि यह यात्रा एक लंबी यात्रा रांची से मानी जाती है। अतः रास्ते के लिए आवश्यक व्यवस्था कर कर ही घर से निकले। विशेष करके जिस वाहन से आप निकल रहे हो उसका अच्छे से जांच कर निकले। सुबह जल्दी निकलने पर आप समय से करीब 1 बजे तक मंदिर पहुंच जाएंगे और पूजा अर्चना कर वहां से 3 बजे निकलने का प्रयास करें ताकि पुणे 7 बजे रांची शहर को लौट जाए क्योंकि संपूर्ण दूरी रांची से बाबा टांगीनाथ मंदिर की लगभग 170 किलोमीटर के आसपास है।






