अमड़ापाड़ा/पाकुड़ — टीबी मुक्त भारत अभियान को मजबूती देते हुए सुदूर ग्रामीण एवं जनजातीय बहुल क्षेत्रों में एक महत्वपूर्ण और सराहनीय पहल सामने आई है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र (सीएचसी) अमड़ापाड़ा के प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. खालिद अहमद के प्रयास से डीबीएल (DBL) कोल माइंस ने 500 टीबी मरीजों को गोद लेने और उनके पोषाहार की जिम्मेदारी उठाने पर सहमति जताई है। इस संबंध में प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. खालिद अहमद और डीबीएल माइंस के एचआर प्रिंस कुमार के बीच विस्तृत बातचीत हुई, जिसमें क्षेत्र के गरीब और जनजातीय टीबी मरीजों को बेहतर पोषण उपलब्ध कराने पर सहमति बनी। डॉ. अहमद ने स्पष्ट किया कि टीबी के सफल उपचार के लिए दवाओं के साथ-साथ संतुलित और पौष्टिक आहार अत्यंत आवश्यक है।
18 लाख रुपये का पोषण सहयोग।
डीबीएल माइंस प्रबंधन ने प्रत्येक टीबी मरीज को 600 रुपये प्रति माह की दर से 6 माह तक पोषाहार सहायता देने का निर्णय लिया है। इस प्रकार कुल 18 लाख रुपये की राशि का चेक एक सप्ताह के भीतर जिला प्रशासन को सौंपा जाएगा, जिससे मरीजों को समय पर पोषण सहायता मिल सकेगी।
उपायुक्त के निर्देश का दिखा असर।
गौरतलब है कि पाकुड़ के उपायुक्त द्वारा 1 सितंबर 2025 को जिले की औद्योगिक एवं व्यावसायिक इकाइयों को सीएसआर (CSR) के तहत टीबी उन्मूलन में सहयोग करने का निर्देश दिया गया था। उसी क्रम में यह पहल अमल में आई है, जिसे स्वास्थ्य विभाग एक बड़ी उपलब्धि मान रहा है। इस अवसर पर प्रभारी चिकित्सा पदाधिकारी डॉ. खालिद अहमद ने कहा कि सुदूर और गरीब क्षेत्रों के टीबी मरीजों के लिए पोषण सबसे अहम कड़ी है। डीबीएल माइंस के इस सहयोग से न केवल मरीजों के स्वास्थ्य में सुधार होगा, बल्कि अमड़ापाड़ा को टीबी मुक्त बनाने की दिशा में यह एक मजबूत कदम साबित होगा।





