पाकुड़। नगर क्षेत्र के कई होटल आज भी पुराने जमाने के तरीके से कोयले पर खाना पका रहे हैं। सुबह से रात तक जलती भट्टियों से बिना चिमनी के उठता काला धुआं पूरे इलाके में फैल रहा है। हालात ऐसे हैं कि आसपास के मकान, दुकानदार और राहगीर लगातार इस जहरीले धुएं को झेलने को मजबूर हैं। स्थानीय लोगों का कहना है कि उन्होंने कई बार होटल संचालकों से गैस का उपयोग करने की अपील की, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया। इन होटलों से निकलता धुआं दूर से ऐसा लगता है मानो ईंट भट्टा जल रहा हो। उपायुक्त जहां जिले को स्वच्छता में आगे ले जाने की कोशिश में जुटे हैं, वहीं होटल संचालकों की यह लापरवाही शहर की छवि पर काला धब्बा बना रही है। नगर परिषद की भी अब तक इस पर कोई नजर नहीं पड़ी, जबकि ये होटल नगरपालिका क्षेत्र के बीचों-बीच चल रहे हैं। लोगों ने मीडिया के माध्यम से जिला प्रशासन से अपील करते हुए कहा कि तत्काल इन होटलों पर कार्रवाई हो,ताकि इस खतरनाक प्रदूषण पर रोक लगाई जा सके, जो न सिर्फ पर्यावरण बल्कि लोगों की सेहत के लिए भी बड़ा खतरा है।
