पाकुड़ जिले के लिट्टीपाड़ा प्रखंड के पोडाम गाँव में हो रहे सड़क निर्माण कार्य ने विभागीय कामकाज पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।।स्थानीय लोगों और तकनीकी निरीक्षण में सामने आया है कि सड़क की निर्माण प्रक्रिया में जीएसबी (Granular Sub Base) की परत डाले बिना सीधे ढलाई की गई, और बालू के स्थान पर स्टोन डस्ट का इस्तेमाल हो रहा है। ऐसे में यह स्पष्ट है कि निर्माण की गुणवत्ता घटिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि निर्माण स्थल पर न तो कोई सूचना पट लगाया गया और न ही विभागीय अधिकारी मौजूद थे। ढलाई के समय न संवेदक साइट पर दिखे और न ही किसी विभागीय निगरानी का कोई निशान। स्थानीय शिकायतों और तकनीकी जांच के आधार पर साफ आरोप है कि ठेकेदार, संवेदक और विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से सरकारी धन की खुली लूट हो रही है।।जनता सवाल कर रही है – क्या जिला प्रशासन आंखें मूंदे बैठा है? क्या विभाग सिर्फ फाइलों में खानापूर्ति कर रहा है? आखिर किसकी शह पर ठेकेदार नियम तोड़कर मनमानी कर रहा है? यह सड़क आरईओ योजना से बन रही है या डीएमएफटी फंड से, इसकी भी जानकारी जनता के पास नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि करोड़ों की लागत वाली सड़कों में इस तरह की अनियमितता होने पर विकास आखिर किसका होगा – जनता का या ठेकेदार और अधिकारियों की जेब का?

