प्रशांत मंडल
लिट्टीपाड़ा (पाकुड़)।अखिल भारतीय आदिम जनजाति विकास समिति के बैनर तले मंगलवार को मांझी विजय मरांडी स्टेडियम में दामिन स्थापना 201वां यादगार दिवस समारोह का आयोजन हिल एसेंबली पहाड़िया महासभा के द्वारा किया गया। इस समारोह का उद्घाटन मुख्य अतिथि महेश कुमार मालतो, मोतीलाल सिंह पहाड़िया, राजू पुजहर, बैजनाथ पहाड़िया ,कन्हाई देहरी, कमलेश पहाड़िया, डेविड मालतो, बैजनाथ पहाड़िया ,धर्मराज पहाड़िया, शिवचरण मालतो ने संयुक्त रूप से दीप प्रज्वलित कर किया। कार्यक्रम उद्घाटन से पूर्व मुख्य अतिथियों द्वारा पहाड़िया झंडा का झंडोतोलन किया गया। इस समारोह का मंच संचालन शिवचरण मालतो ने किया।इस दौरान संताल परगना के हजारों की संख्या में दुमका ,पाकुड़, साहिबगंज, गोड्डा जिला के विभिन्न प्रखंडों से पहाड़ियां समुदाय के महिला एवं पुरुष यादगार दिवस समारोह में भाग लिया। इस समारोह के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम 13 सूत्री ज्ञापन वीडियो के अनुपस्थिति में बीपीआरओ को सोपा गया। वही हिलएसेंबली पहाड़िया महासभा के महासचिव शिवचरण मालतो ने भीड़ को सम्बोधित करते हुए कहा । यहां के आदिम जनजाति पहाड़ियां को छले का काम किया जा रहा है। उनके तन में आज भी अपनी लज्जा ढकने के लिए कपड़े नसीब नही होता है।शुद्ध पेयजल नही मिलता है। पोष्टिक आहार की कमी की वजह से अल्प काल मे ही पहड़ियां जाति स्वर्ग सिधार जाते है।इसलिए जब तक अलग सांवरिया कंट्री नही मिलेगा, तब तक पहाड़िया का विकास सम्भव नही है।अंग्रजो के शासनकाल में 1894 में सौउरिया कंट्री बनाया गया था। तब यहा के राजा पहड़िया हुआ करता था। गुलामी के खिलाप अंग्रेजो के विरोध में 1771 में पहाड़ियां ने ही पहला बिगुल फूंका था।तभी वारेंग हेस्टिंग के द्वारा 1300 पहड़िया बटालियन का गठन किया था।
साथ ही कहा कि आज हम सरकार को यह संदेश देने का काम कर रहे हैं ओर लोगों को जागरुक भी कर रहे हैं कि हमारा अधिकार क्या है हम किस क्षेत्र के मालिक है। लेकिन आजाद भारत में हमें संवैधानिक सत्ता भी चाहिए और प्रशासनिक अधिकार भी चाहिए। लेकिन आज इस सबसे वंचित है। इसलिए आज इस महासम्मेलन से हम लोग सरकार को यह संदेश दे रहे हैं की पहाड़िया के लिए जो ग्रामीण क्षेत्र में आरक्षित क्षेत्र है ।छ:विधानसभा और दो लोकसभा सीट हैं वह पहाड़ियां के लिए अलग करते हुए ,हमें समर्पित करें ।तभी जाति का संरक्षण और कल्याण हो सकता है ,नहीं तो हमलोग साजिश के शिकार बन गए हैं। छोटे-छोटे विकास से हम लोगों को शोषण किया जा रहा है। आज भी अत्याचार और शोषण में कमी नहीं आई है। बल्कि बढ़ोतरी हुई है जिस प्रकार निजी जनप्रतिनिधि के बगैर हम इस जनजाति को संरक्षण नहीं दे सकते ।इसलिए कि दूसरा जाति का लोग हमें संरक्षण नहीं बल्कि हमें शोषण करने में जनप्रतिनिधि लोग लगे हुए हैं।उसे हम जागरुक करते हुए, लोगों को आज संदेश दिया है । साथ ही महामहिम राष्ट्रपति के नाम 13 सूत्री मांगों को लेकर सरकार को अवगत कराया।
