पाकुड़ जिले ने शिक्षा के क्षेत्र में बड़ी उपलब्धि हासिल की है। जिला प्रशासन की अभिनव पहल “परख–पढ़ाई और खेल” को देश के प्रतिष्ठित स्कॉच अवार्ड 2025 के लिए चुना गया है। यह सम्मान सुशासन और समावेशी विकास के लिए दिया जाता है। कड़ी और स्वतंत्र मूल्यांकन प्रक्रिया के कई चरणों को पार करने के बाद पाकुड़ का चयन हुआ है। इस उपलब्धि के लिए 10 जनवरी 2026 को नई दिल्ली के इंडिया हैबिटेट सेंटर में आयोजित 105वें स्कॉच शिखर सम्मेलन में जिले को सम्मानित किया जाएगा।
सरकारी स्कूलों की तस्वीर बदली
उपायुक्त मनीष कुमार के नेतृत्व में जिले में शिक्षा को सिर्फ किताबों तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि पढ़ाई को खेल, संवाद और व्यवहारिक सीख से जोड़ा गया। इसका असर यह हुआ कि स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति बढ़ी, ड्रॉपआउट दर घटी और सीखने का स्तर बेहतर हुआ।
इन पहलों ने दिलाया राष्ट्रीय सम्मान
फिर से स्कूल चले हम: स्कूल छोड़ चुके बच्चों को दोबारा शिक्षा से जोड़ने का अभियान
बोलेगा पाकुड़ व बात तो करनी होगी: बच्चों में आत्मविश्वास और संवाद कौशल विकसित करने की पहल
परख टेस्ट: नियमित आकलन से बच्चों के सीखने के स्तर की जांच
तिथि भोजन सह जन्मोत्सव: मध्याह्न भोजन को उत्सव में बदला, बच्चों में अपनापन बढ़ा
एक पन्ना रोज का व आज क्या सीखें: लेखन अभ्यास और रोज नई सीख की आदत
उपायुक्त ने दी पूरी टीम को बधाई
इस उपलब्धि पर उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी मनीष कुमार ने शिक्षा विभाग की पूरी टीम—जिला शिक्षा पदाधिकारी, जिला शिक्षा अधीक्षक, एडीपीओ और सभी शिक्षकों—को बधाई दी।
उन्होंने कहा कि परख के माध्यम से पढ़ाई और खेल को जोड़कर बच्चों के सर्वांगीण विकास का जो सपना देखा गया था, उसे आज राष्ट्रीय पहचान मिली है। यह साबित करता है कि सीमित संसाधनों में भी नवाचार से बड़ा बदलाव संभव है।
पाकुड़ बना मिसाल
स्कॉच अवार्ड मिलना न सिर्फ पाकुड़ की प्रशासनिक क्षमता का प्रमाण है, बल्कि यह भी दिखाता है कि अगर सोच नई हो तो छोटे जिले भी देशभर के लिए उदाहरण बन सकते हैं।







