पाकुड़: जाम और अव्यवस्थित यातायात से शहर को राहत दिलाने के लिए पाकुड़ जिला प्रशासन ने जिन सुधारों की शुरुआत की थी, वे अब जमीन पर दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। चांदपुर इंटीग्रेटेड ऑटो-टोटो स्टैंड के उद्घाटन के साथ जिस जाममुक्त और सुरक्षित पाकुड़ का सपना दिखाया गया था, वह जिला परिवहन कार्यालय और रोड सेफ्टी टीम की लापरवाही के चलते सिर्फ दावों तक सीमित रह गया है।उद्घाटन के समय उपायुक्त सह जिला दंडाधिकारी मनीष कुमार ने यातायात व्यवस्था को दुरुस्त करने पर जोर दिया था। मंच से साफ निर्देश दिए गए थे कि टोटो-टेंपू चालकों को ड्रेस कोड, आई-कार्ड, लाइसेंस, बीमा, प्रदूषण प्रमाणपत्र और रूट परमिट अनिवार्य रूप से रखना होगा। यह भी कहा गया था कि 1 जनवरी 2026 के बाद नियम तोड़ने वालों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी।लेकिन हकीकत बिल्कुल उलट है।आज भी शहर की सड़कों पर टोटो-टेंपू चालक बिना किसी ड्रेस कोड के नजर आते हैं। कई चालक लूंगी पहनकर सवारी ढोते दिख रहे हैं। इससे भी गंभीर बात यह है कि नाबालिग बच्चे खुलेआम टोटो चलाते हुए शहर की सड़कों पर फर्राटा भर रहे हैं, जिन पर न परिवहन विभाग की नजर है और न रोड सेफ्टी टीम की।
रॉन्ग साइड ड्राइविंग और जाम आम समस्या
यातायात नियमों की खुलेआम अनदेखी हो रही है। टोटो-टेंपू चालक रॉन्ग साइड से चलते हैं, बीच सड़क पर अचानक वाहन मोड़ देते हैं और मनमाने ढंग से सवारी चढ़ाते-उतारते हैं। इसका नतीजा यह है कि शहर में जाम की समस्या जस की तस बनी हुई है और हर दिन दुर्घटना का खतरा बना रहता है।

रोड सेफ्टी टीम सिर्फ हेलमेट तक सीमित
सड़क सुरक्षा के लिए बनाई गई रोड सेफ्टी टीम की भूमिका भी सवालों के घेरे में है। टीम सड़कों पर केवल हेलमेट चेकिंग करती नजर आती है, जबकि नाबालिग चालक, अवैध टोटो संचालन और ड्रेस कोड की अनदेखी पर कोई ठोस कार्रवाई नहीं दिखती।

फाइलों में सुधार, सड़कों पर अराजकता
विडंबना यह है कि जिला परिवहन विभाग मानकर चल रहा है कि इंटीग्रेटेड स्टैंड खुलने के बाद शहर की यातायात व्यवस्था सुधर गई है, जबकि आम लोग आज भी जाम, अव्यवस्थित ट्रैफिक और हादसों के डर के बीच सफर करने को मजबूर हैं।अब सवाल यह है कि प्रशासन की इस महत्वाकांक्षी योजना को जमीन पर उतारने की जिम्मेदारी कौन लेगा। अगर जल्द ही सख्ती नहीं दिखाई गई, तो जाममुक्त और सुरक्षित पाकुड़ सिर्फ कागजों और भाषणों की बात बनकर रह जाएगा।







