पाकुड़ में मारवाड़ी समाज के तत्वावधान में आयोजित नौ दिवसीय देवी भागवत कथा के पांचवें दिन सोमवार को श्रद्धा और भक्ति से ओत-प्रोत वातावरण में श्रीकृष्ण लीलाओं का विस्तार से वर्णन किया गया। इस अवसर पर श्रीधाम अयोध्या से पधारी कथा वाचिका मानस बिंदु ने अपने ओजस्वी और सरल प्रवचन के माध्यम से श्रोताओं को कृष्ण भक्ति में डुबो दिया। कथा के दौरान भगवान श्रीकृष्ण के जन्म से लेकर बाल लीलाओं तक का जीवंत वर्णन किया गया। बाल्यकाल की माखन चोरी, दही फोड़ना, पूतना वध, कालिया नाग दमन, गोवर्धन पूजा, महारास और रासलीला प्रसंगों को श्रद्धालुओं ने भावविभोर होकर सुना। इसके साथ ही कंस, कुवलयापीड़, चाणूर, मुष्टिक सहित अनेक असुरों के वध तथा श्रीकृष्ण द्वारा दिए गए गीता उपदेश का भी उल्लेख किया गया। कथा में यह बताया गया कि भगवान श्रीकृष्ण ही परम ब्रह्म हैं और शाकंभरी देवी उनकी ही शक्ति का स्वरूप हैं। प्रसंग के अनुसार, जब पृथ्वी पर भीषण अकाल पड़ा और सौ वर्षों तक वर्षा नहीं हुई, तब देवताओं की प्रार्थना पर भगवती शाकंभरी प्रकट हुईं। उनके नेत्रों से अश्रुधारा प्रवाहित हुई, जिससे वर्षा हुई और धरती पर पुनः हरियाली लौट आई। देवी ने अपने शरीर से शाक और वनस्पतियों की उत्पत्ति की, जिससे मानव जाति की भूख शांत हुई और इसी कारण वे शाकंभरी कहलाईं। कथा में यह भी बताया गया कि शाकंभरी देवी और श्रीकृष्ण लीला का उल्लेख श्रीमद्भागवत पुराण सहित अन्य पौराणिक ग्रंथों में मिलता है। जहां शाकंभरी कथा में देवी के अवतार और सृष्टि के पालन पर विशेष बल दिया गया है, वहीं श्रीकृष्ण कथा में भगवान के सगुण रूप में अवतरण, लीलाओं के माध्यम से धर्म की स्थापना और भक्तों को मोक्ष प्रदान करने का संदेश दिया गया है।
कथा श्रवण के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे और संपूर्ण वातावरण भक्तिमय बना रहा।






