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June 20, 2025 8:19 pm

15 साल से पानी को तरस रहे पाकुड़ रेलवे क्वार्टर के कर्मचारी, अब नगर परिषद से लगाई आस

नगर परिषद कार्यालय में हुई बैठक, शहरी जलापूर्ति योजना से शोधित जल देने पर हुई चर्चा।

पाकुड़: पाकुड़ शहर में जल संकट की समस्या कोई नई नहीं है, लेकिन पाकुड़ रेलवे के कर्मचारी तो बीते डेढ़ दशक से बूंद-बूंद पानी को तरस रहे हैं। रेलवे की 170 क्वार्टरों में रह रहे करीब 1250 कर्मचारियों को अब तक नियमित और शुद्ध पेयजल की सुविधा नहीं मिल पाई है। इस समस्या को लेकर अब रेलवे ने नगर परिषद से गुहार लगाई है।
गुरुवार को नगर परिषद कार्यालय में प्रशासक अमरेंद्र कुमार चौधरी की अध्यक्षता में एक अहम बैठक हुई। बैठक में पूर्व रेलवे रामपुरहाट के वरिष्ठ अनुभाग अभियंता (कार्य) मुकेश कुमार,पेयजल एवं स्वच्छता प्रमंडल के सहायक अभियंता अभिजीत किशोर,कनिय अभियंता दिनेश मंडल, ईस्टर्न जोनल रेलवे पैसेंजर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष हिसाबी राय और प्रधान सहायक देवाशीष बर्मन मौजूद रहे।

2013 में बनी थी सहमति,जमीन नहीं मिलने से फंस गया था मामला

सूत्रों के अनुसार, वर्ष 2013 में रेलवे और जिला प्रशासन के बीच शहरी जलापूर्ति योजना के तहत रेलवे को प्रतिदिन दो लाख लीटर शोधित जल देने पर सहमति बनी थी।जलमीनार, वितरण पाइप और जल पीलर निर्माण की योजना भी बनी थी,लेकिन रेलवे की ओर से आवश्यक जमीन नहीं मिलने के कारण योजना अधर में रह गई।

बोरिंग भी फेल,सिर्फ 3 जगह ही मिला पानी

रेलवे ने स्वयं पेयजल व्यवस्था सुधारने के लिए अब तक कुल दस डीप बोरिंग करवाए,लेकिन सिर्फ तीन बोरिंग से ही सीमित मात्रा में पानी मिल पाया। ऐसे में समस्या जस की तस बनी हुई है।

अब डीआरएम हावड़ा ने दिखाई सक्रियता,उम्मीद जगी

पूर्व रेलवे हावड़ा के मंडल रेल प्रबंधक संजीव कुमार के निर्देश पर अब एक बार फिर से प्रयास तेज किए गए हैं। नगर परिषद में हुई बैठक में प्रशासक अमरेंद्र कुमार चौधरी ने कहा कि रेलवे को शहरी जलापूर्ति योजना से जोड़ने के लिए उपायुक्त को मंडल से पत्र भेजकर रेलवे की जमीन पर बनने वाले पानी टंकी निर्माण हेतु अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) जारी कराने के बाद ही आगे की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। जलमीनार निर्माण, वितरण पाइप बिछाने और पीलर लगाने की योजना को आगे बढ़ाने के लिए अब प्रशासन और रेलवे के बीच समन्वय बनाने की जरूरत बताई गई है।

कर्मचारियों में जगी राहत की उम्मीद

बैठक के बाद कर्मचारियों में एक बार फिर आशा जगी है कि अब शायद वर्षों पुरानी जल संकट की समस्या का समाधान हो सके। यदि यह योजना जमीन पर उतरती है तो 1250 से अधिक लोगों को शुद्ध पेयजल की सुविधा मिल सकेगी।

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