राजकुमार भगत
पाकुड़। दीपावली को लेकर पूरे जिले में उत्साह का माहौल है। छोटे-बड़े सभी लोग दीपों की जगमगाहट और मां लक्ष्मी की आराधना की तैयारी में जुटे हैं। इस वर्ष दीपावली का त्योहार सोमवार, 20 अक्टूबर को मनाया जाएगा। ज्योतिषाचार्यों के अनुसार, इस दिन अमावस्या तिथि और प्रदोष काल का संयोग बन रहा है, जो लक्ष्मी-गणेश पूजन के लिए अत्यंत शुभ माना गया है।
दीपावली का पर्व कार्तिक कृष्ण अमावस्या को मनाया जाता है। इस दिन माता लक्ष्मी, भगवान गणेश, माता सरस्वती और काली की पूजा का विशेष महत्व है। प्रदोष काल शाम 5:46 से रात 8:18 बजे तक रहेगा, जबकि लक्ष्मी पूजन का सर्वोत्तम मुहूर्त रात 11:41 से 12:31 बजे तक रहेगा। संध्या समय में शाम 6:08 से 8:36 बजे तक भी पूजन किया जा सकता है। पुराणों के अनुसार, कार्तिक अमावस्या की रात मां लक्ष्मी पृथ्वी पर विचरण करती हैं और जो घर स्वच्छ, सुंदर और प्रकाशमान होता है, वहां उनका निवास होता है। भगवान गणेश की पूजा विघ्न नाश के लिए की जाती है, जबकि माता सरस्वती विद्या और बुद्धि की अधिष्ठात्री हैं। घर में लक्ष्मी, गणेश और सरस्वती की पूजा करने से सुख, समृद्धि, धन और यश की प्राप्ति होती है। पूजन के लिए घर को साफ करके लाल वस्त्र बिछाया जाता है और उस पर देवी-देवताओं की प्रतिमा स्थापित कर अक्षत, चंदन, पुष्प, गंगाजल, धूप, दीप और नैवेद्य से पूजन किया जाता है। शुभ मुहूर्त में आरती कर शुद्ध घी के 5, 7, 21 या 101 दीपक जलाने की परंपरा है।
दीपावली का पर्व अयोध्या में भगवान राम के स्वागत से जुड़ी परंपरा पर आधारित है, जब नगरवासियों ने दीपक जलाकर उनका स्वागत किया था। आज भी हर घर दीपों की रोशनी से जगमगाता है और बच्चे फुलझड़ी और पटाखों में व्यस्त रहते हैं। दीयों और पटाखों के चलते आग लगने की संभावना रहती है, इसलिए सभी को सावधानी बरतने की हिदायत दी गई है।