प्रशांत मंडल
लिट्टीपाड़ा (पाकुड़)ग्रामीण स्वास्थ्य और परंपरागत ज्ञान के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल करते हुए लिट्टीपाड़ा प्रखंड के विभिन्न पंचायतों और गांवों में हर्बल गार्डन (औषधीय पौधशाला) की स्थापना की जा रही है। इसका उद्देश्य स्थानीय वैद्य परंपरा को संरक्षित करना, ग्रामीण समुदाय को जागरूक करना और पारंपरिक जड़ी-बूटी आधारित उपचार पद्धति को पुनर्जीवित करना है।इस पहल के अंतर्गत निम्न पंचायतों और गांवों में हर्बल गार्डन की स्थापना की जा रही है।सूरजबेड़ा पंचायत के चितलो गांव में, वैद्य बाबूराम मरांडी के मार्गदर्शन में लिट्टीपाड़ा पंचायत के मखनी पहाड़ गांव में, वैद्य बिनोद कुमार माल्तो की देखरेख में, जोरडीहा पंचायत के पकड़िया गांव में वैद्य रावण बास्की के सहयोग से ,कुंजबोना पंचायत के छोटा गुरसो गांव में, वैद्य रामा पहाड़िया द्वारा कमलघाटी पंचायत के बिंझा गांव में,वैद्य चुडकी हांसदा की निगरानी में ,नवाडीह पंचायत के बांसजोड़ी गांव में, वैद्य होपना सोरेन की भागीदारी से,बंडू पंचायत के धोनीमारगो गांव में, वैद्य मेसनाथ माल्तो की देखरेख में,सोनाधनी पंचायत के बरगांव पहाड़ गांव में, वैद्य छमरा पहाड़िया के सहयोग से इन सभी गांवों में वैद्यों की सहभागिता से औषधीय पौधों जैसे तुलसी, अश्वगंधा, गिलोय, सतावर, हारसिंगार, आंवला आदि के रोपण की प्रक्रिया शुरू लिया।यह पहल न केवल पारंपरिक स्वास्थ्य पद्धतियों को पुनर्जीवित करेगी, बल्कि आने वाली पीढ़ियों को भी प्रकृति से जोड़ने में सहायक सिद्ध होगी।बदलाव फाउंडेशन एवं ग्राम स्वशासन अभियान के संयुक्त प्रयास से यह कार्य संपन्न हो रहा है। वैद्यों को न केवल इन गार्डनों की देखरेख की जिम्मेदारी दी गई है, बल्कि वे ग्रामीणों को औषधीय पौधों के प्रयोग और महत्व की जानकारी भी प्रदान करेंगे।वहीं प्रोग्राम कोऑर्डिनेटर अरुण रॉय ने कहा कि पारंपरिक जड़ी-बूटियों में अपार संभावनाएं छिपी हैं, जो हमारे पूर्वजों की धरोहर हैं। आज जब पूरी दुनिया प्राकृतिक चिकित्सा की ओर लौट रही है, ऐसे में हमारी यह जिम्मेदारी बनती है कि हम अपने वैद्य ज्ञान को पुनर्जीवित करें। हर्बल गार्डन की स्थापना न केवल स्वास्थ्य की दृष्टि से उपयोगी है, बल्कि यह हमें प्रकृति से जोड़ने और आत्मनिर्भरता की ओर ले जाने वाला कदम भी है।इस प्रयास में हर ग्रामीण की भागीदारी आवश्यक है। आइए, मिलकर एक स्वस्थ, जागरूक और हरित गांव का निर्माण करें।