लिट्टीपाड़ा के छोटा सूरजबेड़ा में शुरू हुआ तीन दिवसीय मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण
प्रशांत मंडल
लिट्टीपाड़ा (पाकुड़): उपायुक्त मनीष कुमार के निर्देश पर जिले के पहाड़िया (PVTG) ग्रामों को मधुमक्खी पालन का हब बनाने की दिशा में बड़ी पहल शुरू हुई है। इसी कड़ी में जिला उद्यान कार्यालय, पाकुड़ के तत्वावधान में लिट्टीपाड़ा प्रखंड के करमाटांड पंचायत के छोटा सूरजबेड़ा ग्राम में बुधवार को तीन दिवसीय मधुमक्खी पालन प्रशिक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया गया।
प्रशिक्षण के उद्घाटन अवसर पर जिला उद्यान पदाधिकारी प्रशनजित महतो ने कहा कि इस कार्यक्रम का उद्देश्य आदिम जनजाति और ग्रामीण किसानों को वैज्ञानिक मधुमक्खी पालन की जानकारी देकर आत्मनिर्भर और समृद्ध बनाना है। उन्होंने कहा, मधुमक्खी पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के साथ किसानों को एक टिकाऊ और अतिरिक्त आय का स्रोत देता है। पहले दिन किसानों को मधुमक्खियों की प्रजातियों की पहचान, छत्ते की संरचना, रानी मधुमक्खी की भूमिका, शहद उत्पादन और विपणन के वैज्ञानिक तरीकों की जानकारी दी गई।
कार्यक्रम के दौरान मेसर्स फ्लोराफ्सा नेचुरल फर्म, रांची की तकनीकी टीम ने प्रशिक्षण सत्र लिया। प्रशिक्षक मोहम्मद नोमान राशिद ने किसानों को बताया कि मधुमक्खी पालन से न सिर्फ शुद्ध शहद मिलता है, बल्कि मोम, परागकण (Pollen), प्रोपोलिस और रॉयल जेली जैसे उत्पाद भी तैयार किए जा सकते हैं, जिनकी बाजार में भारी मांग है। प्रखंड कृषि पदाधिकारी के. सी. दास ने कहा कि लिट्टीपाड़ा का प्राकृतिक वातावरण शहद उत्पादन के लिए बेहद अनुकूल है। अगर किसान इसे समूह के रूप में अपनाएं तो आय और विपणन दोनों में बेहतर परिणाम मिलेंगे। वहीं एन.एफ.एस.एम. के तकनीकी सहायक चित्तरंजन सिन्हा ने बताया कि मधुमक्खियाँ फसलों के परागण में अहम भूमिका निभाती हैं, जिससे उत्पादन में 25 से 30 प्रतिशत तक वृद्धि होती है।
प्रशिक्षण में प्रखंड तकनीकी प्रबंधक रामेश्वर मुर्मू, प्रधान सहायक कुमार अभिनव सहित छोटा सूरजबेड़ा ग्राम के 15 महिला एवं पुरुष किसान शामिल हुए।
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