रांगा कॉलेज में मांझी-परगना व्यवस्था को लेकर आयोजित बैसी सभा में बोले – आदिवासी समाज को संगठित करने की जरूरत।
प्रशांत मंडल
(पाकुड़)। लिट्टीपाड़ा विधानसभा क्षेत्र के विधायक हेमलाल मुर्मू ने कहा है कि जब तक देश में सरना धर्म कोड लागू नहीं होता, तब तक जाति जनगणना नहीं होने दी जाएगी। आदिवासी समाज की आबादी 12 करोड़ से अधिक है, इसके बावजूद आज तक उन्हें संविधान में अलग धर्म की मान्यता नहीं मिली है। यह एक बड़ी विडंबना है, वे शुक्रवार को रांगा स्थित डिग्री कॉलेज परिसर में आयोजित बैसी सभा को संबोधित कर रहे थे। मांझी-परगना व्यवस्था के तहत आयोजित इस सभा में लिट्टीपाड़ा प्रखंड के सभी 275 गांवों के मांझी, गुड़ित, नायकी, परगनात सहित संताल समाज के बुद्धिजीवी मौजूद थे। बैठक की अध्यक्षता विधायक हेमलाल मुर्मू ने की। उन्होंने कहा कि जब तक संताल समाज के पारंपरिक पदाधिकारी सशक्त नहीं होंगे, तब तक समाज भी मजबूत नहीं होगा। समाज की संस्कृति, परंपरा और पहचान को बचाए रखने में मांझी, नायकी, गुड़ित और परगनात की अहम भूमिका है। उन्होंने सभा में मौजूद लोगों को उनके अधिकार और कर्तव्यों की जानकारी दी और बताया कि उन्होंने विधानसभा में संताल समाज को सशक्त बनाने के लिए किस प्रकार सवाल उठाए। उन्होंने वह सवाल सभा में पढ़कर सुनाया और राज्य सरकार की ओर से आदिवासी हित में बनाए गए कानूनों पर चर्चा की।
उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन आदिवासियों के हक और अधिकार के लिए प्रतिबद्ध हैं। झारखंड मुक्ति मोर्चा की सरकार लगातार कोशिश कर रही है कि आदिवासियों की पहचान, भाषा, संस्कृति और जमीन की रक्षा हो। बैठक में मांझी को मिलने वाले अधिकारों की भी चर्चा हुई और कहा गया कि पारंपरिक व्यवस्थाओं को पुनः मजबूत करने की जरूरत है, जिससे समाज संगठित हो सके। बैठक में झामुमो जिलाध्यक्ष एजाजुल इस्लाम, जिला उपाध्यक्ष हाजी समद अली, केंद्रीय सदस्य सुनील टुडू, लिट्टीपाड़ा प्रखंड अध्यक्ष प्रसाद हांसदा, सचिव जावेद आलम, उपाध्यक्ष रंजन साहा, हिरणपुर प्रखंड अध्यक्ष इसहाक अंसारी, पूर्व जिला सचिव सुलेमान बास्की और वरिष्ठ कार्यकर्ता दानिएल किस्कू सहित बड़ी संख्या में पार्टी के कार्यकर्ता उपस्थित थे।

