सुदीप कुमार त्रिवेदी
महिलाओं को समानता और सम्मान दिलाने के लिए हर साल 8 मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है ।आज गुरुदेव कोचिंग सेंटर, पाकुड़ परिसर में श्री सारस्वत स्मृति एवं पंतजलि के संयुक्त तत्वावधान में 08 मार्च 2024 को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का कार्यक्रम संध्या 5:00 बजे भागीरथ तवारी की अध्यक्षता एवं विशिष्ट अतिथि डॉक्टर मनोहर कुमार जी उपस्थित में आहूत की गई । मंच संचालन संजय कुमार शुक्ला जी ने किया। संजय शुक्ला ने कहा कि यूरोप में 8 मार्च के दिन ही पीस एक्टिविस्ट्स को सपोर्ट करने के लिए महिलाओं ने रैली की थी । यूनाइटेड नेशंस ने 1975 में 8 मार्च को पहला अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया । महिलाओं के संघर्ष और उनकी मेहनत के महत्व को समझने और समझाने के लिए उक्त दिवस पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। डॉक्टर मनोहर कुमार ने अपने संबोधन में कहा कि जननि जन्मभूमिश्च स्वर्गादपि गरीयसी। जननि और जन्मभूमि स्वर्ग से भी बढ़कर है । हर नारी का जीवन फूलों का सेज नहीं, जीवन संघर्ष में हमेशा सूझ-बूझ से कम लेती है नारी। नई प्रतिकूल परिस्थितियों में खुद को ढाल कर कर कायर, कमजोर, डरपोक न बन कर विपत्तियों से जूझती है।भागीरथ तिवारी ने अपने संबोधन में कहा कि यत्र नार्य: तु पूज्यन्ते, तत्र देवता रामन्ते । यत्र एकता:तु ने पूज्यन्ते, तत्र सर्वा:क्रिया:अबला:। जिस देश में समाज या घर में स्त्रियां पूरी जाती हैं अर्थात सम्मानित होती हैं वहां देवता प्रसन्नता पूर्वक निवास करते हैं जहां पर यह पूंजी अर्थात सम्मानित नहीं की जाती वहां पर किए गए यज्ञ आदि सभी कर्म निष्फल हो जाते हैं। प्राचीन भारत में नारी और पुरुष को बराबर ही समझा जाता था और एक समान सम्मान प्रदान किया जाता था एक आदर्श नारी वह होती है जो सबों की बातों को सुनती है,एक मां, बेटी, बहन,पत्नी एवं परिवार, समाज, प्रदेश एवं देश के उत्तरदायित्वों को भली भांति निर्वहन करती है । एक आदर्श नारी कभी भी अनर्गल बातें नहीं करती है । राम रंजन कुमार सिंह ने कहा कि जिस घर में स्त्रियां सुखी हैं, उसी घर में समृद्धि और प्रसन्नता विद्यमान रहती हैं । विश्व की आधी आबादी महिलाओं की है , जिसका योगदान अतुलनीय है, समाज को बेहतर बनाने में जितना योगदान पुरुषों का है उतना ही योगदान महिलाओं का भी है । शिक्षा के क्षेत्र में सावित्रीबाई फुले, फतिमा शेख, बेगम जफर अली, कादंबिनी गांगुली और चंद्रमुखी बसु ने देश के लिए अनेक कार्य किए ।उसी संदर्भ में महिलाओं के दो प्रेरक प्रसंग भी कहे । साबरी पाल ने अपने संबोधन में बोली की महिलाओं को आर्थिक, सांस्कृतिक, सामाजिक और राजनीतिक उपलब्धियों का संपादन करना चाहिए । महिलाओं के खिलाफ हिंसा, समान वेतन, शिक्षा और स्वास्थ्य देखभाल तक पहुंच की कमी को दूर कर उसे सफल बनाया जाना चाहिए यह समाज का दायित्व है । उक्त अवसर पर मिथिलेश त्रिवेदी ने नारी के सम्मान में अनेकों उदाहरण रखते हुए नारी तुम पूजा हो पर एक कविता का भी गायन किया ।
उक्त अवसर पर साबरी पाल, डॉली मित्र, बंदना कुमारी, राखी राय, सुफिया खातून, पूजा कर्मकार, फाल्गुनी देवी, संगीता सरकार, मंजू भगत, गुड़िया कुमारी, मंडल जी, तपन कुमार, मनोज चौबे, रीतेश पाण्डेय ,रंजय कुमार राय, कुन्दन कुमार ,राजीव झा,एवं गण्यमान्य उपस्थित थे ।
