विश्व बाल श्रम निषेध दिवस के मौके पर बुधवार को पाकुड़ न्यायालय सभागार में जिला विधिक सेवा प्राधिकार (डालसा) के तत्वावधान में विधिक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का आयोजन प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश सह अध्यक्ष डालसा शेषनाथ सिंह के निर्देश पर किया गया, जिसमें सचिव रूपा बंदना किरो की उपस्थिति में बाल श्रम को जड़ से खत्म करने को लेकर जागरूकता फैलाई गई।
इस अवसर पर किशोरियों के लिए एक्सपोजर विजिट भी कराया गया। सचिव रूपा बंदना किरो ने बाल श्रम की जमीनी हकीकत को उजागर करते हुए कहा कि गरीबी, अशिक्षा, बेरोजगारी और सामाजिक असमानता इसके मूल कारण हैं। उन्होंने बताया कि अंतरराष्ट्रीय श्रम संगठन (ILO) द्वारा 2002 में शुरू किए गए इस दिवस का उद्देश्य बच्चों को शोषण से बचाना और उन्हें शिक्षा व खुशहाल बचपन देना है।
थीम पर डाला गया प्रकाश।
इस वर्ष की थीम “प्रगति स्पष्ट है, लेकिन अभी और काम किया जाना बाकी है – आइए प्रयासों को तेज करें” पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा कि सरकार, समाज और सभी संगठनों को एकजुट होकर काम करना होगा, ताकि 2025 तक बाल श्रम का पूरी तरह उन्मूलन किया जा सके।
कानूनी जानकारी से कराया अवगत
लीगल एड डिफेंस काउंसिल सिस्टम के डिप्टी चीफ और अन्य वक्ताओं ने बाल श्रम से संबंधित कानूनी प्रावधानों की विस्तृत जानकारी दी। बच्चों के संरक्षण, शिक्षा और अधिकारों के बारे में भी प्रतिभागियों को अवगत कराया गया।
शिक्षा विभाग ने भी साझा की योजना
जिला शिक्षा अधीक्षक नयन कुमार ने बताया कि सरकार की ओर से बच्चों को मुफ्त शिक्षा, किताबें, ड्रेस, छात्रवृत्ति जैसी सुविधाएं दी जाती हैं। उन्होंने अभिभावकों से अपील की कि वे बच्चों को स्कूल भेजें और शिक्षा को बढ़ावा देने में सहयोग करें।
छात्राओं ने भी दिखाई जागरूकता
आमड़ापाड़ा प्रखंड के मध्य विद्यालय पाडरकोला, मध्य विद्यालय जीतको समेत अन्य विद्यालयों की छात्राओं और शिक्षिकाओं ने बाल श्रम और बाल विवाह जैसे मुद्दों पर अपने विचार रखते हुए जागरूकता फैलाई। पीएलवी की भी रही अहम भूमिका पीएलवी अमूल्य रत्न रविदास, पिंकी मंडल, रानी साहा, चंद्रशेखर घोष, उत्पल मंडल, विजय कुमार राजवंशी और नीरज कुमार राउत ने कार्यक्रम में सक्रिय सहभागिता निभाई।
