Search

November 28, 2025 5:41 pm

महागौरी और संधि पूजा संपन्न, बुधवार को सिद्धिरात्रि, कन्यापूजन व हवन।

पाकुड़। नवरात्रि का महापर्व अपने अंतिम पड़ाव पर है। सोमवार को अष्टमी के पावन अवसर पर मां दुर्गा के आठवें स्वरूप महागौरी की पूजा अर्चना विधि-विधान के साथ संपन्न हुई। इसी के साथ संधि पूजा भी श्रद्धा और भक्ति भाव से की गई। मान्यता है कि मां महागौरी भगवान शंकर की अर्धांगिनी हैं और उनकी साधना से साधक को अलौकिक सिद्धियों की प्राप्ति होती है।

आज होगी मां सिद्धिरात्रि की पूजा।

नवरात्रि के आखिरी दिन नवमी तिथि पर मां सिद्धिरात्रि की आराधना का विशेष महत्व है। शास्त्रों के अनुसार मां सिद्धिदात्री ही सभी प्रकार की सिद्धियां प्रदान करती हैं और जीवन की बाधाओं व कष्टों का निवारण करती हैं। भक्त प्रातःकाल ब्रह्म मुहूर्त (4:37 से 5:26 बजे तक) में माता की पूजा कर पुण्य लाभ अर्जित करेंगे। दोपहर के विजय मुहूर्त (2:09 से 2:57 बजे तक) में मां की आराधना विशेष फलदायी मानी जाती है।

नवमी तिथि पर कन्या पूजन का महत्व।

नवरात्रि के दौरान कन्या पूजन के बिना साधना अधूरी मानी जाती है। परंपरा है कि 2 वर्ष से 10 वर्ष तक की छोटी कन्याओं को देवी स्वरूप मानकर पूजन व सम्मानपूर्वक भोजन कराया जाता है। उनके साथ एक छोटे बालक को भैरव बाबा के रूप में शामिल करना अत्यंत शुभ माना गया है। कन्याओं को दक्षिणा देकर आशीर्वाद ग्रहण करने से न केवल देवी प्रसन्न होती हैं, बल्कि नौ ग्रह भी शांत होते हैं और परिवार में सुख, शांति व समृद्धि का वास होता है।

Also Read: E-paper 17-10-2025

हवन और शस्त्र पूजन का विधान।

नवमी की सिद्धिरात्रि पूजा के बाद शुभ मुहूर्त में हवन करना अत्यंत लाभकारी है। वहीं, दशमी तिथि पर शस्त्र पूजन एवं कलश विसर्जन का विधान है। कई श्रद्धालु इस दिन हवन एवं देवी का विसर्जन कर नवरात्रि का समापन करते हैं। नवरात्रि का यह पर्व श्रद्धा, भक्ति और साधना का प्रतीक है, जो न केवल देवी के आशीर्वाद का मार्ग खोलता है बल्कि समाज में सेवा, करुणा और सद्भाव का संदेश भी देता है।

Leave a Comment

लाइव क्रिकेट स्कोर