Search

July 29, 2025 12:58 pm

चतुर्थी को होगी मां कुष्मांडा की पूजा।

राजकुमार भगत

पाकुड़। हिंदू पंचांग के अनुसार चतुर्थी तिथि की शुरुआत 6 अक्टूबर को सुबह 7:49 बजे से प्रारंभ होकर 7 अक्टूबर के 9:47 सुबह तक रहेगी।

चौथे दिन होती है मां कुष्मांडा की पूजा

नवरात्रि के चौथे दिन मां कुष्मांडा की पूजा की जाती है। मां कुष्मांडा अधिष्ठात्री देवी, अष्टभुजा धारी भी कहते हैं। मां कुष्मांडा का वाहन सिंह है। इनके सात हाथों में कमल पुष्प अमृत पूर्णकलश कमंडल शास्त्र धनुष चक्र गदा सम्मिलित हैं , जबकि आठवें हाथ में सभी सिद्धियों व निधियों देने वाली जपमाला है।

मां कुष्मांडा को पेठे मालपुआ का लगाए भोग

मां कुष्मांडा को कुम्हड़ा बहुत पसंद है संस्कृत में कुम्हड़ा को कुष्मांड कहते हैं। मां कुष्मांडा को प्रसन्न करने के लिए पेठे का भोग लगाना चाहिए अथवा मालपुआ और दही हलवा का भोग लगाना चाहिए।

मां कुष्मांडा हरती हैं लोगों के कष्ट और दोष

मां कुष्मांडा की पूजा के लिए हरे रंग पर आसान बैठना चाहिए। लाल वस्त्र लाल चूड़ी लाल फूल अर्पित करनी चाहिए । पूजा के बाद आरती एवं प्रसाद वितरण करना चाहिए। मान्यता है कि मां कुष्मांडा की पूजा अर्चना करने से सभी रोग एवं दोष नष्ट हो जाते हैं। यश बल धन की वृद्धि होती है।

Leave a Comment

लाइव क्रिकेट स्कोर
// for sub category under jharkhand