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October 15, 2025 2:03 am

माता चंद्रघंटा की पूजा संपन्न, गुरुवार को मां कुष्मांडा की आराधना होगी।

राजकुमार भगत

पाकुड़: बुधवार को जिले के विभिन्न मंदिरों और घरों में नवरात्रि के तीसरे दिन माता चंद्रघंटा की पूजा पूरी विधि-विधान और श्रद्धा भाव से संपन्न हुई। माता चंद्रघंटा को अद्वितीय तेज और ममता की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। इनकी पूजा करने से सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। मां चंद्रघंटा को कुमकुम, लाल और पीले फूल तथा पीले वस्त्र अति प्रिय हैं। नवरात्रि के चौथे दिन बुधवार को मां कुष्मांडा की पूजा-आराधना होगी। मान्यता है कि मां कुष्मांडा की आराधना से धन, यश और आय में वृद्धि होती है, रोग-क्षय दूर होते हैं और घर में सुख-समृद्धि आती है। मां कुष्मांडा का स्वरूप सूर्य के समान तेजस्वी है और उनकी चार भुजाएं हैं। इन्हें मालपुआ और दही का भोग अर्पित करना विशेष शुभ माना जाता है। भक्त प्रातःकाल लाल कमल, उड़हुल, गेंदा, पीले वस्त्र, पंचामृत, धूप-दीप, गंध, हल्दी-कुमकुम, चंदन, सिंदूर, अबीर, दूब और बेलपत्र से पूजा करते हैं। श्रद्धा और भक्ति भाव से आराधना करने वालों को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है।

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