पाकुड़: बंद पड़े खदानों को उत्पादक जल संसाधन बनाने की दिशा में बड़ा कदम उठाया गया है। बुधवार को पाकुड़ अंचल की सोनाजोड़ी, पतरापाड़ा, मंगलापाड़ा और मालपहाड़ी खदानों में मत्स्य संवर्धन के तहत व्यापक स्तर पर मत्स्य अंगुलिकाओं का संचयन किया गया। इस दौरान लगभग 1.70 लाख भारतीय मेजर कार्प और 0.64 लाख ग्रास कार्प मछली अंगुलिकाओं को खदानों में छोड़ा गया। इस पहल से न केवल जल संसाधनों का बेहतर उपयोग होगा, बल्कि स्थानीय मछुआरों और ग्रामीणों की आजीविका को भी बढ़ावा मिलेगा।
कार्यक्रम में जिला मत्स्य पदाधिकारी काजल तिकी, सोनाजोड़ी पंचायत के उपमुखिया, कृषि विभाग से सुदीप सैन, पाकुड़ प्रखंड से सुभाष कुमार साह और क्षेत्रीय प्रभारी अमित सरकार सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे। काजल तिकी ने बताया कि बंद खदानों में मत्स्य पालन से स्थानीय मछुआरों की आर्थिक स्थिति मजबूत होगी और रोजगार के नए अवसर भी सृजित होंगे। यह कदम जिले में मत्स्य उत्पादन बढ़ाने और ग्रामीण अर्थव्यवस्था को सशक्त बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल माना जा रहा है।





