23वा अंतरराष्ट्रीय संताल सरना महासम्मेलन की तैयारियां जोरों पर
महुआटांड़। ललपनिया के ऐतिहासिक धरती पर आयोजित होने वाले संताल सरना महासम्मेलन की तैयारियां अंतिम चरण में है। प्रत्येक वर्ष की भांति इस साल भी लुगू बाबा की पूजा- अर्चना के लिए लुगु बाबा पर्वत पर लगभग 6 लाख श्रद्धालुओं एवं अनुयायियों की आने की संभावना है। इस अवसर पर राज्य एवं जिला प्रशासन द्वारा मेले में पहुंचने वाले श्रद्धालुओं के लिए विशेष व्यवस्थाएं की गई है जिनमे श्रद्धालुओं के लिए विशाल टेंट,शौचालय, वाहन पार्किंग सहित मेडिकल कैंप भी लगाया जा रहा है। वहीं केंद्रीय मंत्री बाबूलाल मरांडी के माध्यम से श्रद्धालुओं के लिए खिचड़ी की व्यवस्था की गई है। इस अवसर पर राज्य सरकार के सूचना विभाग द्वारा झारखंड सरकार के विभिन्न योजनाओं से संबंधित जानकारियां भी मेला परिसर में उपलब्ध करवाया जाएगा। गौरतलब है की इस मेले की शुरुआत वर्ष 2000 में छोटे पैमाने पर स्थानीय कमेटी द्वारा कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर शुरू की गई थी तब से यह मेल प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगता आ रहा है। किंतु आज 22 वर्षों के बाद यह मेला देश के साथ-साथ विदेशो में भी लोकप्रिय हो चुका है। प्रत्येक वर्ष कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर लगने वाला यह महाविशाल मेला लुगू बुरु घंटा बाड़ी के नाम से जाना जाता है। इस मेले में भारत के कोने-कोने से लोग पहुंचते हैं। जानकारी के अनुसार यहां बिहार, बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़, आंध्र प्रदेश, मध्य प्रदेश, केरल, कर्नाटक, तमिलनाडु, नागालैंड, उत्तर प्रदेश इत्यादि राज्यों से श्रद्धालु पहुंचते हैं। वहीं विदेशों से भी जिनमे भूटान, श्रीलंका, नेपाल, म्यांमार इत्यादि से भी भारी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मेले की विशालता का अंदाज इसी से लगाया जा सकता है कि तकरीबन 3000 बड़ी बसें, छोटे गाड़ियों की संख्या 10000 में आकी जाती है। मेले के दिन मोबाइल पर एक दूसरे से संपर्क करना भी कठिन हो जाता है क्योंकि मोबाइल नेटवर्क लोगों के हुजूम के कारण बहुत ही धीमी पड़ जाती है। इस दौरान राज्य एवं जिला प्रशासन के हजारों पुलिस बल ललपनिया मेले की विधि व्यवस्था पर नियंत्रण रखने का काम करती है। स्थानीय ललपनिया थाना एवं पूजा कमेटी इस मेले की तैयारी विगत कई दिनों पूर्व से ही शुरू कर देते हैं। इस दौरान आए हुए महिला एवं पुरुष पुलिस जवानों की ठहरने के लिए स्थानीय सरकारी एवं गैर-सरकारी विद्यालय में रहने की व्यवस्था की जाती है। वही में इस मेले में हजारों की संख्या में बड़े एवं छोटे स्टाल लगाए जाते हैं जिनमें विभिन्न प्रकार के खाद्य सामग्री, मिठाई, खिलौने, प्रसाधन सामग्री, पूजा दुकान, होटल,नाश्ता की दुकान, पारंपरिक हथियार भी मिलते है जिनमे भाला, गाड़ासा, तलवार, तीर- धनुष, संगीत के उपकरण जिनमें ढोल – नगाड़े, बांसुरी, मृदंग, तबला इत्यादि अत्यधिक संख्या में उपलब्ध रहती है। वही इस मेले में ईख की भी विभिन्न किसने मिलती है। बच्चों के लिए कई प्रकार के झूले भी लगाए जाते हैं। यही कारण है कि इस मेले को एशिया के सबसे बड़े मेलों में से एक माना जाता है।